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चट्टान का सीना चीर रैट माइनर्स पहुंच रहे हैं मजदूरों के पास, किसी भी वक्त आ सकती है बड़ी खबर

  • By अनिल सिंह
Updated On: Nov 28, 2023 | 01:41 PM
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उत्तरकाशी: सिलक्यारा (Silkyara) सुरंग (Tunnel) में बचावकर्मियों ने 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है और पिछले 16 दिन से अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए ‘रैट होल माइनिंग’ (Rat Mining) तकनीक से की जा रही ड्रिलिंग के जरिए अब मलबे में केवल 10 मीटर का रास्ता साफ करना शेष रह गया (Almost completed) है। 

#WATCH | Uttarkashi tunnel rescue | Ambulances seen at the site of rescue. Army, SDRF and all other agencies at the site.

As per the latest update, pipe has been inserted upto 55.3 metres. pic.twitter.com/DsD4aJNpiH

— ANI (@ANI) November 28, 2023

अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में अब शेष रह गए 10 मीटर मलबे में खुदाई कर रास्ता बनाने के लिए 12 ‘रैट होल माइनिंग’ विशेषज्ञों को लगाया गया है। इससे पहले, एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी। लेकिन शुक्रवार को उसके कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया। 

#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Visuals from the Silkyara tunnel where the operation to rescue 41 workers is ongoing.

First visuals of manual drilling ongoing inside the rescue tunnel. Auger machine is being used for pushing the pipe. So far about 2 meters of… pic.twitter.com/kXNbItQSQR

— ANI (@ANI) November 28, 2023

 
इससे पहले उसने मलबे के 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग कर दी थी। लार्सन एंड टूब्रो टीम का नेतृत्व कर रहे क्रिस क्रूपर ने मंगलवार को बताया, ‘‘हमने सुरंग में 50 मीटर की दूरी को पार कर लिया है।” इसी के साथ ही मजदूरों के जल्द बाहर निकलने की उम्मीदें भी बढ़ गयी हैं। क्योंकि अब मलबे में केवल 10 मीटर की ही खुदाई शेष है। हालांकि, अभियान की गति मौसम और मलबा साफ करने के रास्ते में आने वाली अड़चनों पर भी निर्भर करती है।  

#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Visuals from the Silkyara tunnel where the operation to rescue 41 workers is ongoing.

Manual drilling is going on inside the rescue tunnel and auger machine is being used for pushing the pipe. As per the last update, about 2… pic.twitter.com/26hw32fChI

— ANI (@ANI) November 28, 2023

 
माहिर रैट माइनर्स का लिया जा रहा सहारा 
पहले भी अभियान के रास्ते में कई अवरोध आते रहे हैं। श्रमिकों की एक कुशल टीम ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक के जरिए हाथ से मलबा साफ कर रही है जबकि उसमें 800 मिमी के पाइप डालने का काम ऑगर मशीन से लिया जा रहा है। मलबे में आ रही बाधाओं को काटकर हटाने के काम में लगे प्रवीण यादव ने बताया कि सुरंग में 51 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है ।ऑगर मशीन की सहायता से मलबे में पाइप डालने का काम कर रहे ट्रेंचलैस कंपनी के एक श्रमिक ने बताया कि अगर कोई अड़चन नहीं आयी तो शाम तक कोई अच्छी खबर मिल सकती है। रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है जिनमें छोटे—छोटे समूहों में खननकर्मी नीचे तंग गड्ढों में जाकर थोड़ी थोड़ी मात्रा में कोयला खोदने के लिए जाते हैं। बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति ‘रैट होल’ खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर लोग हैं। 
 

#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Vertical drilling underway at the site of the rescue of 41 workers. pic.twitter.com/DQTFHDtIIq

— ANI (@ANI) November 26, 2023

 
 
उनके अनुसार, इन लोगों को दो या तीन लोगों की टीम में विभाजित किया जाएगा। प्रत्येक टीम संक्षिप्त अवधि के लिए ‘एस्केप पैसेज’ में बिछाए गए स्टील पाइप में जाएगी । ‘रैट होल’ ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ राजपूत राय ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा। 
 
कैसे हुआ था हादसा 
उत्तराखंड में चारधाम ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की तरफ से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा को भूस्खलन से ढह गया था और तब से उसके अंदर 41 मजदूर अभी फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है। पूरी कोशिश की जा रही है कि टनल के अंदर फंसे  41 मजदूरों को जल्दी से जल्दी सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाए। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए कई देशो के एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है। अमेरिकी ऑगर मशीन के मलबे को अब पूरी तरह से टनल से निकाल लिया गया है। अब आगे की खुदाई रैट माइनर्स को सौंपी गई है। अगर आप नहीं जानते हैं रैट माइनर्स क्या है और कैसे अपना काम करते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं।

 रैट माइनर्स क्या है
 रैट माइनर्स एक चूहे की तरह जमीन के अंदर जहां कम जगहों पर सकरी सुरंग बनाकर काम करने में माहिर होते हैं। सिलक्यारा टनल में फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए अब इन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये लोग खुदाई के लिए किसी आधुनिक बड़ी मशीनों का प्रयोग नहीं करते हैं बल्कि उसकी जगह पर हथौड़ा, साबल और फावड़ा जैसी अन्य चीजों का प्रयोग करते हैं। हथौड़े और छेनी की मदद से कम जगह में भी बड़ी आसानी से खुदाई करते हैं। इस दौरान जैसे जैसे मलबा निकलता है उसे बहार फेंक आगे बढ़ते हैं। साल 2018 में मेघायल की एक खदान में 15 मजदुर फंस गए थे उस वक्त भी इसी की मदद लेनी पड़ी थी।

गौरतलब हो कि लंबवत और हाथ से क्षैतिज ड्रिलिंग दो विधियां हैं, जिन पर इस समय ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सुरंग के बारकोट छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग जैसे अन्य विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है। सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी। इसके तहत 1.2 मीटर व्यास की पाइप को लंबवत तरीके से सुरंग के ऊपर से नीचे की ओर डाला जाएगा। फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिये इस दूसरे विकल्प के रूप में रविवार से इसपर काम शुरू किया गया।

Uttarkashi silkyara tunnel rescue operation rat mining is almost completed

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Published On: Nov 28, 2023 | 01:41 PM

Topics:  

  • tunnel rescue operation

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