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भारत ने जिस चीनी मिसाइल को मिट्टी में मिलाया उसका पोस्टमार्टम करना चाहते हैं US, फ्रांस और जापान; चौंकाने वाली है वजह

भारत ने जैसे ही यह घोषणा की कि उसे चीनी मिसाइल PL-15E का मलबा मिल गया है, वैसे ही 5 आईज देशों और फ्रांस व जापान ने मलबे तक पहुंच की मांग की है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह देश PL-15E का मलबा क्यों चाह रहे हैं

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: May 21, 2025 | 12:21 PM

चाइनीज मिसाइल पीएल-15ई (डिजाइन फोटो)

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नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के साथ युद्ध में पाकिस्तान ने चीन और तुर्की से मिली ताकत का भरपूर इस्तेमाल किया। उसने तुर्किए के ड्रोन्स और चाइनीज मिसाइल का इस्तेमाल किया लेकिन भारत के वायु रक्षा तंत्र ने सारे हमलों को नेस्तनाबूद कर दिया। वायुसेना ने पाकिस्तान द्वारा हवा से दागी गई चीनी मिसाइल PL-15E को भी जमींदोज कर दिया।

अब खबर यह है कि दुनिया के बड़े देश चीनी मिसाइलों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के संगठन फाइव आईज और तथा फ्रांस व जापान भारत से मलबे तक पहुंचने की मांग की है। पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ इस्तेमाल की गई चीनी मिसाइल PL-15E का मलबा पंजाब के होशियारपुर जिले के एक खेत में गिरा था। पंजाब के अन्य स्थानों पर भी मिसाइल के छोटे-छोटे टुकड़े मिले हैं।

भारत के खिलाफ PL-15E का इस्तेमाल

12 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय अधिकारियों ने मिसाइल का मलबा दिखाया और वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने पुष्टि की कि पाकिस्तान ने भारत के हमलों के खिलाफ PL-15E मिसाइल सहित आधुनिक चाईनीज हथियारों का इस्तेमाल किया है।

भारत ने जैसे ही यह घोषणा की कि उसे चीनी मिसाइल PL-15E का मलबा मिल गया है, ठीक वैसे ही फाइव आईज देशों के साथ-साथ फ्रांस और जापान ने मलबे तक पहुंच की मांग की है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह देश PL-15E का मलबा क्यों चाह रहे हैं?

PL-15E के मलबे के पीछे क्यों पड़े बड़े देश?

तकनीकी के जानकारों की मानें तो मलबे की जांच के जरिए इन देशों के डिफेंस साइंटिस्ट चीन की मिसाइल तकनीकी, क्षमता और लिमिटेशन की जानकारी हासिल करना चाहते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि चीन में बनी इस मिसाइल का मिलना चीनी तकनीकी के बारे में जानकारी का जरिया बनेगा।

फ्रांस और जापान की बात करें तो इन दोनों देशों ने उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम में भारी निवेश किया है। अब वे PL-15E मिसाइल तकनीक का भी आक्रामक तरीके से अध्ययन करना चाहते हैं। वहीं, फाइव आईज देश चीनी मिसाइल के इलेक्ट्रॉनिक्स सिग्नेचर, इसकी मोटर कंपनी, गाइडेंस तकनीक और इसके AESA (Active Electronically Scanned Array) के बारे में जानना चाहते हैं।

यूरोपियन मिसाइल के लिए खतरा है PL-15E

फ्रांस खास तौर पर चीनी मिसाइल का बारीकी से अध्ययन करना चाहता है क्योंकि वह PL-15E को यूरोपीय देशों द्वारा विकसित मेटियोर मिसाइल के लिए सीधा खतरा मानता है। मेटियोर मिसाइल में रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम और नौ एस्केप जोन की क्षमता है जो इसे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में सबसे ऊपर रखती है। लेकिन चीन की PL-15E मेटियोर को कड़ी टक्कर दे रही है।

क्या है चाइनीज मिसाइल PL-5E की खासियत

चीनी मिसाइल बहुत लंबी दूरी तक हमला कर सकती है और इसमें बेहतरीन AESA गाइडेंस है जो यूरोपीय मिसाइलों में नहीं है। PL-15E को चीन ने पिछले साल झुहाई एयर शो में प्रदर्शित किया था। यह लंबी दूरी की मिसाइल हवा से हवा में हमला करती है।

मिसाइल AESA राइटर का इस्तेमाल करती है जो टारगेट पर सटीक हमला करती है। मिसाइल में दो-तरफ़ा डेटा लिंक है जिसके बीच रास्ते में भी इसके टारगेट को बदला जा सकता है। पीएल-15 मिसाइल की रेंज की बात करें तो यह 200-300 किलोमीटर तक निशाना साध सकती है। मिसाइल की गति 5960 किलोमीटर प्रति घंटा है। पीएल-15ई की पूरी तकनीक पीएल-15 वाली ही है, बस इसकी रेंज थोड़ी कम है।

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वायुसेना के एयर मार्शल एके भट्टी ने 12 मई को बताया था कि ‘पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ हमलों में इस चीनी मिसाइल का इस्तेमाल किया था। इस मिसाइल को JF-17 फाइटर जेट से दागा गया था। इसे भारत के S-400 और स्वदेशी आकाश एरो एयर डिफेंस सिस्टम ने जमींदोज कर दिया था। एयर मार्शल एके भट्टी ने तब कहा था कि हमारी स्वदेशी आकाश मिसाइल और S-400 सिस्टम ने दिखा दिया है कि भारत किसी भी हवाई खतरे का जवाब देने में सक्षम है।

Us france japan seek pl15e debris chinese missile downed by akash

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Published On: May 21, 2025 | 12:21 PM

Topics:  

  • France
  • Japan
  • Operation Sindoor
  • USA

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