टेक फेलियर पर SC ने योगी सरकार को लताड़ा
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने एक आरोपी को जमानत आदेश में कुछ कमियों की वजह से रिहा न करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि भगवान जाने कितने लोग तकनीकी खामियों के कारण आपकी जेलों में सड़ रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। एक जिला जज पूरे मामले की जांच करेंगे और पता लगाया जाएगा कि आरोपी को रिहा करने में देर क्यों हुई। साथ ही, ये भी देखा जाएगा कि इसके पीछे कोई गलत मंशा तो नहीं थी। अदालत ने राज्य सरकार को आरोपी को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने को भी कहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस के. वी. विश्वनाथन तथा जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने पहले ही आरोपी को रिहा न करने को लेकर नाराजगी जताई थी। अदालत ने संबंधित जेल अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिओए कहा था। उत्तर प्रदेश के DG(Prisons) को भी ऑनलाइन पेश होने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारी मौजूद थे।
वरिष्ठ अधिवक्ता और AAG गरिमा प्रसाद ने बताया कि इसमें आरोपी की कोई भी गलती नहीं थी। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बाद उसको रिहा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जमानत आदेश में अगर चार्जिंग या फिर सजा देने वाली धाराओं में कोई गलती होती है, तो उसको ठीक कराने के लिए लोअर कोर्ट में अर्जी दाखिल की जाती है। इस मामले में देरी इसलिए हुई क्योंकि लोअर कोर्ट ने वक्त पर रिलीज ऑर्डर में बदलाव नहीं किया।
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जस्टिस विश्वनाथन ने AAG से गाजियाबाद कोर्ट के रिलीज ऑर्डर का हवाला देते हुए पूछा कि क्या इसमें आरोपी को रिहा करने के लिए सभी जरूरी जानकारी थी। जब AAG ने माना कि रिलीज ऑर्डर में सभी जानकारी थी, तो अदालत ने कहा कि केवल धारा 5(1) का उल्लेख न होने के कारण रिहा न करना “बेतुका” है।