उद्धव ठाकरे व संजय राउत (सोर्स- सोशल मीडिया)
Shiv Sena UBT News: भारत के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी के बाद 30 दिनों के अंदर पद से हटाए जाने वाले बिल को जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजने वाले प्रस्ताव को झटका लगा है। एक-एक कर सभी विपक्षी पार्टियां इससे किनारा कर रही हैं। अब इस फेहरिस्त में शिवसेना (यूबीटी) का नाम भी जुड़ गया है।
शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर लोकतंत्र को कुचलकर इस विधेयक को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पोस्ट में सरकार द्वारा लाए गए इस विधेयक को संसदीय समिति को भेजने के प्रस्ताव को नाटक करार दिया।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पोस्ट में लिखा कि मोदी सरकार लोकतंत्र और जनता द्वारा चुनी गई सरकार को कुचलने के लिए 130वां संविधान संशोधन विधेयक लाया गया है। जिसकी समीक्षा के लिए बनाई जा रही संयुक्त संसदीय समिति महज एक दिखावा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे स्पष्ट करते हैं कि शिवसेना ऐसी किसी भी जेपीसी में भाग नहीं लेगी।
आपको बता दें कि इस विधेयक पर संयुक्त समिति में भागीदारी का सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया था। ऐसे में यह तय माना जा रहा था कि वह इसमें भाग नहीं लेगी। लेकिन विपक्ष का झटका तब और बढ़ गया जब कल अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने भी अपने सांसदों को जेपीसी में भेजने से इनकार कर दिया।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस विधेयक पर कहा कि इस विधेयक का विचार ही गलत है। इस विधेयक को पेश करने वाले (गृह मंत्री अमित शाह) ने खुद स्वीकार किया है कि उन पर फर्जी आरोप लगाए गए थे। अगर कोई फर्जी मुकदमा दर्ज कर सकता है, तो इस विधेयक का क्या मतलब है?
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 पेश किया। इस विधेयक के अनुसार, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों जैसे पद पर आसीन कोई व्यक्ति गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक जेल में रहता है, तो उसे स्वतः ही पद से हटा दिया जाएगा। विधेयक पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया।
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इसके बाद, इस विधेयक को भी केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 के साथ संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। अब एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें कुल 31 सांसद होंगे। इनमें से 21 सांसद लोकसभा से और 10 सांसद राज्यसभा से होंगे। इस समिति को शीतकालीन सत्र तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी।