उद्धव ठाकरे ( फोटो- सोशल मीडिया)
सोलापुर: महाराष्ट्र का सियासी तापमान सातवें आसमान पर है। सूबे में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होनी है। इससे पहले उद्धव ठाकरे प्रदेश शिवसेना का माहौल बनाने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उद्धव रविवार को मुबंई में भाजपा की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जम कर बरसे।
शिवसेना प्रमुख ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द किये जाने को लेकर रविवार को भाजपा का मखौल उड़ाया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह बताने को कहा कि इस प्रावधान के समाप्त होने के बाद कितने कश्मीरी पंडित अपने गृह राज्य घाटी वापस जा सके?
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किसानों के बजाय 370 पर बोलते हैं पीएमः ठाकरे
सोलापुर जिले के सांगोला में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकरे ने प्रधानमंत्री पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के अपने भाषणों में किसानों की समस्याओं के बजाय अनुच्छेद 370 के बारे में बोलते हैं। जिनका केंद्र द्वारा समाधान नहीं किया गया है। भारतीय जनता पार्टी नियमित रूप से दावा करती रही है कि पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त किये जाने से अशांत पूर्ववर्ती राज्य में शांति आई है और दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को आरक्षण का लाभ भी मिला है।
‘शाह की याददाश्त कमजोर खो गई क्या ?’
ठाकरे ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ‘‘याददाश्त खो गई है” क्योंकि वह यह दावा कर रहे हैं कि वह (उद्धव ठाकरे) उन लोगों के साथ बैठे हैं जिन्होंने अनुच्छेद 370 रद्द किये जाने का विरोध किया था। शिवसेना यूबीटी प्रमुख ठाकरे ने कहा, ‘‘वह भूल जाते हैं कि मैं इस फैसले के समर्थन में उनके साथ था। मुझ पर जासूसी करने के बजाय महाराष्ट्र और देश के लोगों को बताएं कि कितने कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी में अपने घरों को लौटे हैं। जब वे (कश्मीरी पंडित) अपने घरों को छोड़कर निकले थे, तब मोदी और शाह को कोई नहीं जानता था और वह बाला साहेब ठाकरे ही थे, जिन्होंने उन्हें महाराष्ट्र में आश्रय दिया था।”
पीएम मोदी कितने कश्मीरी पंडितो को घाटी में बसाया ?: उद्धव
उन्होंने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘बालासाहेब तो प्रधानमंत्री भी नहीं थे। उस फैसले को कितने साल हो गए हैं। आप कितने कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने में सफल रहे हैं?” उन्होंने कहा कि मोदी और शाह अनुच्छेद 370 और राम मंदिर की बात करते हैं, जबकि महाराष्ट्र के लोग रोजगार चाहते हैं। ठाकरे ने सवाल किया कि जब राम मंदिर बन रहा था, तब क्या शिवसेना भाजपा के साथ नहीं थी। वर्ष 2019 से जून 2022 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर कोई सोचता है कि मुख्यमंत्री बनना मेरा सपना है, तो ऐसा नहीं है। मैं अपने महाराष्ट्र का सपना देखता हूं।”