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नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ता ही जा रहा है। हमले के एक दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े कदम उठाए थे। इसमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में राजनयिकों की संख्या को घटाना और वाघा-अटारी बॉर्डर को बंद करने जैसे फैसले थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने ऐतिहासिक शिमला समझौते को निलंबित कर दिया था। पाकिस्तान लगातार भारत को सिंधु जल संधि को लेकर धमकी दे रहा है। इस बीच रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान की सरकार भारत के साथ 1966 में हुए ताशकंद समझौते से हटने की तैयारी कर रही है।
अब सवाल उठता है कि अगर ताशकंद समझौते से पाकिस्तान हटता है, तो इसका क्या असर होगा। ताशकंद समझौते का सबसे प्रमुख बिंदु दोनों देशों का युद्ध पूर्व स्थिति बनाए रखना और सीमा पर स्थिरता सुनिश्चित करना था। पाकिस्तान समझौते से पीछे हटता है तो भारत के लिए एलओसी को पार करके अपनी रणनीति बनाने के लिए खुला मौका मिलेगा। समझौते को निलंबित होने से भारत के लिए पीओके में घुसकर आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई करने में कानूनी अड़चन खत्म होगी।
समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले लाल बहादुर शास्त्री के लिए वह उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ। उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने सूरज नहीं देखा और हस्ताक्षर करने के 12 घंटे के भीतर 11 जनवरी को ताशकंद में तड़के कमरे में सोते हुए उनकी मौत हो गई। इसके पहले रात करीब 9:30 बजे शास्त्री ने अयूब खान से आखिरी बार हाथ मिलाकर विदा ली थी।