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नई दिल्ली: शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट कल यानी शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। ED मामले में केजरीवाल को जमानत पहले ही मिल चुकी है। ऐसे में अब शीर्ष अदालत CBI मामले में अपना फैसला सुनाएगा। केजरीवाल इस मामले में YRLS 26 जून से जेल में बंद हैं।
इसके पहले बीते गुरुवार को राष्ट्रीय दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता दुर्गेश पाठक को कथित आबकारी घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत दे दी थी। इस मामले की जांच CBI कर रही है। हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 25 सितंबर तक बढ़ा दी है।
Supreme Court to deliver its verdict on Friday on pleas
filed by Chief Minister Arvind Kejriwal seeking bail and challenging the Delhi High Court order upholding his arrest by the CBI in a corruption case stemming from the alleged excise policy scam pic.twitter.com/If7DIghmxR— ANI (@ANI) September 12, 2024
अदालत ने इसके पहले बीते 3 सितंबर को केजरीवाल, पाठक और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने न्यायिक हिरासत में बंद केजरीवाल के लिए पेशी वारंट जारी किया था और पाठक को 11 सितंबर को तलब किया था।
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यह भी बता दें कि CBI ने कुछ सप्ताह पहले केजरीवाल, पाठक, विनोद चौहान, आशीष माथुर और शरत रेड्डी के खिलाफ पूरक आरोप-पत्र दायर किया था। CBI ने बीते महीने अदालत को सूचित किया था कि उसने मामले में केजरीवाल और पाठक पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर ली है।
इसके साथ ही CBI ने दावा किया था कि कथित आबकारी घोटाले से प्राप्त धन केजरीवाल की इच्छा के अनुसार खर्च किया गया। CBI के अनुसार, उन्होंने (केजरीवाल ने) 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के प्रत्येक उम्मीदवार को 90 लाख रुपये देने का वादा किया था। एजेंसी ने अदालत से आरोप-पत्र पर संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए यह दलील दी थी।
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CBI के दायर आरोप-पत्र में दावा किया गया है कि सह-आरोपी और आप के पूर्व संचार प्रभारी विजय नायर को केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ के साथ सौदेबाजी करने के लिए नियुक्त किया था, जिसमें BRS नेता के। कविता, राघव मगुंटा, अरुण पिल्लई, बुच्चीबाबू गोरंटला, पी शरत रेड्डी, अभिषेक बोइनपल्ली और बिनय बाबू शामिल थे। ये सभी इस मामले में सह-आरोपी हैं।
मामले पर CBI की मानें तो , ‘साउथ ग्रुप’ व्यापारियों और नेताओं का एक गिरोह है, जिसने शराब के लाइसेंस और अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति में संशोधन के बदले में दिल्ली की सत्तारूढ़ ‘आप’ को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। CBI ने यह भी दावा किया था कि पाठक को गोवा चुनाव के लिए पार्टी प्रभारी नियुक्त किया गया था और रिश्वत के जरिये प्राप्त रुपये उनके निर्देश पर खर्च किये गये। यह आरोप है कि चुनाव खर्च से जुड़े सभी लेन-देन नकद में किए गए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)