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सुप्रीम कोर्ट में जमकर हिन्दु-मुस्लिम हुआ, मोक्ष से लेकर वक्फ पर दोनों पक्षों ने आध्यात्मिक तर्क दिए

केंद्र के दावे को चुनौती देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि वेदों के अनुसार मंदिर हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के पांच देवताओं की पूजा करने का प्रावधान है।

  • By सौरभ शर्मा
Updated On: May 22, 2025 | 07:17 PM

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर सुनवाई हुई (फोटो- सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर सुनवाई के दौरान धर्म, आस्था और कानून के बीच गूंजता संवाद देखने को मिला। केंद्र सरकार के इस तर्क पर कि वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसे आत्मा से जुड़ा विषय बताया और कहा कि वक्फ ईश्वर को समर्पण है, सिर्फ दान नहीं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने मोक्ष, स्वर्ग और धार्मिक समर्पण जैसे आध्यात्मिक पहलुओं का उल्लेख करते हुए अन्य धर्मों की भी अवधारणाओं को जोड़ा। इस बहस ने कोर्ट में एक गहरी वैचारिक चर्चा को जन्म दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने अदालत में कहा कि वेदों के अनुसार मंदिर हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में प्रकृति पूजा की परंपरा रही है, जहां अग्नि, जल, पर्वत और समुद्र तक देवता माने जाते हैं। वहीं सिब्बल ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों के शामिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब हिंदू ट्रस्ट में गैर-हिंदू नहीं हो सकते, तो वक्फ में ऐसा प्रावधान क्यों?

वक्फ आत्मा से जुड़ा है, कानून की गलती समुदाय क्यों भुगते
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में जोर देकर कहा कि वक्फ की अवधारणा केवल समाज सेवा नहीं बल्कि ईश्वर को समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि एक बार वक्फ हो जाने पर वह हमेशा वक्फ रहता है और यह परलोक में लाभ के लिए किया जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन न होने पर मालिकाना हक क्यों छिनता है, जबकि पंजीकरण की जिम्मेदारी राज्यों की थी। सिब्बल ने यह भी कहा कि यदि सरकार के पोर्टल पर वक्फ नहीं दिखता तो इसका यह मतलब नहीं कि वह अस्तित्व में नहीं है।

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मंदिर में पूजा जरूरी नहीं प्रकृति के एहसानबंद रहें
राजीव धवन ने कहा कि मंदिरों को हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा मानना सही नहीं है। वेदों में कहीं यह नहीं लिखा कि मंदिर जरूरी हैं। बल्कि वहां प्रकृति के रूपों की पूजा को महत्व दिया गया है। चीफ जस्टिस ने भी चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि हर धर्म में दान, आत्मिक लाभ और मोक्ष या स्वर्ग की अवधारणाएं किसी न किसी रूप में मौजूद हैं। ईसाई धर्म में भी स्वर्ग का विचार उसी प्रकार जुड़ा है जैसे हिंदू धर्म में मोक्ष से।

Supreme court waqf act 2025 hearing spiritual arguments hindu moksha islam donation charity to god

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Published On: May 22, 2025 | 07:17 PM

Topics:  

  • Kapil Sibal
  • Legal News
  • Supreme Court
  • Waqf Act
  • Waqf Land

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