सुप्रीम कोर्ट, फोटो - मीडिया गैलरी
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय़ ने दिल्ली से प्रदूषण कम होने पर पाबंदी हटा दी है। गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में एएसजी की ओर से ब्रीफ नोट पेश किया गया, जिसे देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लागू ग्रैप-4 हटाने के निर्देश दिए हैं। एएसजी की तरफ से पेश हुए ब्रीफ नोट में कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर में काफी हद तक कमी आई है और ये सुधरता जा रहा है। वहीं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की वकील ने कहा कि प्रदूषण स्तर में लगातार सुधार हो रही है। हालांकि, इसमें मौसम का भी योगदान है। अब प्रदूषण स्तर ग्रैप लेवल से बाहर है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की वकील ने कहा कि दिल्ली की भौगोलिक परिस्थितियों को समझना होगा। उन्होंने कहा कि नवंबर, दिसंबर में यहां प्रदूषण स्तर बढ़ जाता है। कोविड लॉकडाउन के वक्त0 भी ऐसा हुआ था। भौगोलिक स्थितियों की वजह से हम यूरोप की तरह नहीं हो सकते। मामले में जज का कहना है कि हम सीएक्यूएम को ग्रैप पर फैसला लेने देंगे, लेकिन अभी इसे ग्रैप 2 से नीचे न लाया जाए। कोर्ट ने कहा कि CAQM चाहे तो ग्रैप 2 के साथ ग्रैप 3 की भी कुछ पाबंदियों को लागू कर सकता है। साथ ही गुरुवार, 12 दिसंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी।
श्रमिकों के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि आप बस इतना कहते हैं कि किसी और ने पंजीकरण नहीं कराया है। कोर्ट ने कहा कि आपने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या प्रयास किए हैं कि अन्य निर्माण श्रमिक अपना पंजीकरण करा सकें? मुख्य सचिव ने इस पर कहा कि समय-समय पर सार्वजनिक सूचना जारी की जाती है। जस्टिस ओका ने कहा कि क्या आपने कोर्ट के आदेश के बाद लोगों से खुद को पंजीकृत करने के लिए एक भी नोटिस जारी किया है? मुख्य सचिव ने बताया कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने इस पर कहा कि दिल्ली के वकील फरासत ने पिछली बार कहा था कि पिछले साल के 12 लाख पंजीकरण खत्म हो गए हैं। दिल्ली के मुख्य सचिव ने कहा कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड श्रमिकों पर जानकारी दी गई है। जस्टिस ओका ने कहा कि क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए? अगर ये गलत साबित होता है तो कृपया परिणाम के लिए तैयार रहें।