तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन व राज्यपाल आरएन रवि (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। तमिलनाडु में रविन्द्र नारायण रवि राज्यपाल और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच लड़ाई में सीएम स्टालिन की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल आरएन रवि द्वारा 10 विधेयकों को लटकाने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना कदम है और कानून के नजरिए से सही नहीं। राज्यपाल को राज्य की विधानसभा को मदद और सलाह देनी चाहिए थी।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राज्यपाल का 10 प्रमुख विधेयकों को मंजूरी न देने का फैसला अवैध और मनमाना है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने राज्यपाल रविन्द्र नारायण रवि की खिंचाई करते हुए कहा कि उन्हें जल्द से जल्द विधेयकों पर फैसला लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवर्नर की कार्रवाई को रद्द करते हुए कहा कि इन विधेयकों को राज्यपाल के समक्ष पुनः प्रस्तुत किए जाने की तिथि से ही मंजूरी प्राप्त माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल आरएन रवि ने सद्भावना से काम नहीं किया।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्यपाल के पास विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लटकाने का अधिकार नहीं है, उन्हें संविधान के अनुच्छेद 200 में निर्धारित ढांचे के भीतर काम करना चाहिए। न्यायालय ने यह फैसला तमिलनाडु की स्टालिन सरकार की उस याचिका पर सुनाया है, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को राज्यपाल ने रोक दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को 3 महीने के अंदर विधेयकों पर निर्णय लेने कहा है। ताकि विधेयक को मंजूरी दी जाए, या फिर उसे सदन में वापस भेजा जाए या फिर राष्ट्रपति को भेजा जाए।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) प्रमुख एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ तमिलनाडु के लिए ही नहीं बल्कि सभी भारतीय राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है। स्टालिन के कहा कि DMK राज्य की स्वायत्तता और संघीय राजनीति के लिए संघर्ष करती रहेगी और जीतेगी।