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UP : मदरसा कानून संविधान के खिलाफ है या नहीं? आज सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट आज उत्तर प्रदेश के मदरसा कानून से जुड़ी याचिकाओं पर आज फैसला सुना सकता है। इस कानून को कोर्ट में असंवैधानिक घोषित करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती मिली है।

  • By राहुल गोस्वामी
Updated On: Nov 05, 2024 | 08:21 AM

सुप्रीम कोर्ट (सोर्स-सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार 5 नवंबर को उत्तर प्रदेश के मदरसा कानून से जुड़ी याचिकाओं पर आज फैसला सुना सकता है। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में असंवैधानिक घोषित करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से चुनौती मिली है। इस फैसले के तहत मदरसों पर उत्तर प्रदेश के वर्ष 2004 के कानून को असंवैधानिक करार दिया गया था।

जानकारी दें कि अपने फैसले को इलाहाबाद HC ने कानून को ‘धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत’ का उल्लंघन बताया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि मदरसा छात्रों को स्कूली शिक्षा प्रणाली में समायोजित किया जाए।

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दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते 22 मार्च के अपने फैसले में कानून को संविधान के खिलाफ और धर्मनिरक्षेता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था। वहीं हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मदरसा में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को नियमित स्कूलों में दाखिला देने का निर्देश दिया था। िस तरह उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य के विभिन्न मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल करने का निर्देश दिया था।

इधर हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मदरसा संचालकों का इस बाबत कहना था कि, इससे 17 लाख मदरसा छात्र और 10 हजार शिक्षक प्रभावित होंगे। इतला ही नही वह मजहबी शिक्षा के साथ दूसरे विषय भी पढ़ाते हैं। मदरसों में वही पाठ्यक्रम होता है, जिसे राज्य सरकार ने मान्यता दे रखी है। कहा गया कि कुल 16,500 मदरसे यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। उनमें से सिर्फ 560 मदरसों को ही सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है।

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मदरसा संचालकों के अनुसार जिस तरह संस्कृत और दूसरी भाषाओं के संवर्धन के लिए सरकार अनुदान देती है। उसी तरह अरबी या फारसी के लिए भी किया जाता है। मदरसा शिक्षा की व्यवस्था यूपी में साल 1908 से चल रही है।

इस मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ दायर अंजुम कादरी की मुख्य याचिका सहित आठ याचिकाओं पर अपना फैसला 22 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा था कि मदरसों का नियमित करना राष्ट्रीय हित में है। इसके साथ ही CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004′ को रद्द करने के इलाहाबाद HC के आदेश पर 5 अप्रैल को अंतरिम रोक लगाकर करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत दी थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)

 

Supreme court decision on up madrassas today allahabad high court had ordered their closure

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Published On: Nov 05, 2024 | 08:20 AM

Topics:  

  • Supreme Court
  • UP Madarsa Act

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