देश का सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि किसी कर्मचारी को किया गया अतिरिक्त पेमेंट उससे तब तक सरकार नहीं वसूल कर सकती जब तक वह उस व्यक्ति की धोखाधड़ी या गलत बयानबाजी के कारण नहीं हुआ हो। यदि नियोक्ता की गलती के कारण कर्मचारियों को अधिक भुगतान कर दिया गया है तो इसके लिए वह दोषी नहीं है और सरकार को उससे वसूली करने का कोई हक नहीं है।
ओडिशा जिला न्यायालय में स्टेनोग्राफर और पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत दो याचिकाकर्ताओं ने अतिरिक्त पेमेंट वसूली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की थी। न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। यह कर्मचारियों के पक्ष में कोर्ट का बड़ा फैसला है।
कोर्ट में याचिकाकर्ता कर्मचारियों ने अपील दायर की थी कि उनके रिटायरमेंट के बाद उनसे 20 से 40 हजार रुपये वसूली का आदेश दिया गया है। उन्हें रिटायर हुए तीन साल हुए हैं और उन्हें अतिरिक्त भुगतान करीब 6 साल पहले किया गया था। अब वह अतिरिक्त धनराशि भुगतान वापस करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में उससे ये धनराशि इतने वर्षों बाद न वसूली जाए क्योंकि इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। ये धनराशि नियोक्ता की ओर से उसके खाते में डाली गई थी जिसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
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हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट को दरवाजा खटखटाया। न्यायधीशों की पीठ ने पूर्व की कई केस स्टडी को देखने के बाद कहा कि यदि कर्मचारी को अतिरिक्त राशि का भुगतान किसी धोखाधड़ी या कर्मचारी की गलत बयानबाजी की वजह से नहीं दी गई है या फिर कोई अतिरिक्त भुगतान जैसे अतिरिक्त वेतन या भत्ता जो कि नियोक्ता की गलती की वजह से हुआ हो उसे वसूलने का अधिकार उसे कर्मचारी से नहीं होगा। इस गलती के लिए पूरी तौर पर नियोक्ता ही जिम्मेदार होगा और रिकवरी उसे ही पूरी करनी होगी। वह कर्मचारी पर इसके लिए किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डाल सकता है।