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Supreme Court: तमिलनाडु के 10 विधेयकों पर राष्ट्रपति की कार्रवाई भी गैरकानूनी, RN रवि मामले में शीर्ष कोर्ट

Article 200 में राज्यपाल के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है लेकिन उन्हें यथाशीघ्र निर्णय लेना चाहिए। यदि विधेयक राष्ट्रपति के विचार में प्रस्तुत होता है, तो अधिकतम 1 माह में स्वीकृति देने की अपेक्षा की जाती है।

  • By सौरभ शर्मा
Updated On: Apr 12, 2025 | 08:13 AM

सुप्रीम कोर्ट (फोटो - सोशल मीडिय)

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नई दिल्ली: तमिलनाडु के राज्यपाल RN रवि के मामले में जस्टिस JP पारदीवाला और जस्टिस R महादेवन की पीठ द्वारा 8 अप्रैल को दिया गया फैसला शुक्रवार को चौथे दिन रात 10:54 बजे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। संविधान के अनुच्छेद 200 की व्याख्या करते हुए पीठ ने कहा, राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते, जब वह विधानसभा द्वारा दोबारा पारित किया गया हो, भले ही राज्यपाल ने पहले चरण में अपनी मंजूरी रोक ली हो।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा भेजे गए 10 विधेयकों पर राष्ट्रपति ने कोई कार्रवाई की है तो वह भी अवैध है। शीर्ष अदालत ने साफ कहा, अगर कोई विधेयक राज्य विधानसभा से दोबारा पारित होता है तो राज्यपाल उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते।

राज्यपाल RN रवि का विधेयकों को रोकने का फैसला असंवैधानिक

पीठ ने अपने 415 पन्नों के फैसले में साफ कहा कि राज्यपाल डॉ. रवि का 10 विधेयकों को रोकने का फैसला अवैध था। राष्ट्रपति द्वारा 10 विधेयकों के संबंध में उठाए गए कदम भी कानून के अनुसार वैध नहीं हैं। पीठ ने कहा, जब विधानसभा से पारित होने के बाद ये 10 विधेयक दूसरी बार राज्यपाल के समक्ष पेश किए गए, तो इन विधेयकों को राज्यपाल द्वारा स्वीकृत माना जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री को इस फैसले की एक प्रति सभी उच्च न्यायालयों और सभी राज्यों के राज्यपालों के प्रधान सचिव को भेजने का निर्देश दिया।

अनुच्छेद 200 में राज्यपाल के पास केवल तीन विकल्प

पीठ ने कहा, विधानसभा से पारित होने के बाद जब विधेयक राज्यपाल के समक्ष पेश किया जाएगा, तो अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास तीन विकल्प होंगे। पहला, इसे स्वीकृत करें। दूसरा, स्वीकृति रोक लेना और तीसरा, विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखना। पीठ ने कहा कि जहां राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है और राष्ट्रपति उस पर अपनी स्वीकृति नहीं देते हैं, वहां राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार होगा। जब राष्ट्रपति स्वीकृति के लिए अपने समक्ष रखे गए विधेयक पर अनुच्छेद 201 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्णय नहीं लेते हैं, तो राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से परमादेश रिट मांगने का भी अधिकार होगा।

विधेयक दोबारा पारित तो महीने के भीतर स्वीकृति देनी होगी

अनुच्छेद 200 में राज्यपाल के लिए समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन कहा गया है कि वे यथाशीघ्र निर्णय लेंगे। यदि विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिए रखा जाता है, तो राज्यपाल से अधिकतम एक महीने के भीतर स्वीकृति देने की अपेक्षा की जाती है। यदि वे स्वीकृति नहीं देते हैं, तो उन्हें अधिकतम तीन महीने के भीतर संदेश के साथ इसे वापस करना होगा। अगर विधानमंडल विधेयक को दोबारा पारित कर भेजता है तो राज्यपाल को एक महीने के भीतर मंजूरी देनी होगी।

कोर्ट ने संविधान के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों को बताया

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को दी गई शक्तियों और अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति को दी गई शक्तियों के इस्तेमाल की न्यायिक समीक्षा भी की। पीठ ने कहा, जहां राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के विपरीत अपने विवेक से राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक सुरक्षित रखता है, वहां राज्य सरकार ऐसी कार्रवाई को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।

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क्या कहता है अनुच्छेद 201

पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 201 के अनुसार राष्ट्रपति को भी किसी विधेयक को मंजूरी के लिए असीमित समय तक रोकने का अधिकार नहीं है। राष्ट्रपति या तो मंजूरी देंगे या रोकेंगे। अगर राष्ट्रपति विधेयक की मंजूरी रोकते हैं तो इसके कारणों को भी स्पष्ट करना होगा। जजों की पीठ ने कहा हम यह नहीं कह सकते कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 201 के प्रावधान का इस्तेमाल नहीं करने और राज्य विधानमंडल को अनुमति नहीं देने के कारणों की जानकारी नहीं देने की अनुमति होगी, क्योंकि ऐसा करने से अनुच्छेद 200 में प्रावधान शामिल हो जाएगा। पीठ ने कहा, यहां तक ​​कि जहां किसी कानून के तहत कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, वहां भी इसका प्रयोग उचित समय के भीतर किया जाना चाहिए।

Supreme court action on 10 bills of tamil nadu top court on rn ravi case

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Published On: Apr 12, 2025 | 08:00 AM

Topics:  

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  • Supreme Court Verdict
  • Tamilnadu News

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