राणा सांगा जयंती विशेष
Rana Sanga Birth Anniversary: राजस्थान के राजपूत राजाओं के शौर्य और पराक्रम के चर्चे तो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। महाराणा संग्राम सिंह भी मुगल शासकों की नाक में दम करने वाले ऐसे ही निडर और पराक्रमी राजा थे। इतिहास उन्हें राणा सांगा के नाम से याद करता है। राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी, बाबर, महमूद खिलजी और कई इस्लामिक शासकों के साथ युद्ध लड़े और धूल चटाई थी। आज राणा सांगा के जयंती के मौके पर आइए इस वीर राजपूत योद्धा के शौर्य और बलिदान को याद करते हैं।
राणा सांगा का जन्म 12 अप्रैल 1482 को मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ में हुआ था। राणा कुम्भा के पौत्र और राणा रायमल के पुत्र राणा सांगा ने पिता की मौत के बाद 1509 में मेवाड़ की गद्दी संभाली थी। राणा का शासन काल 1509 से 1527 तक रहा। वर्ष 1528 में उनका भी निधन हो गया था। राणा सांगा के अद्भुत पराक्रम की कहानियां हम इतिहास के पन्नों में देख सकते हैं।
एक हाथ-एक पैर कटे लेकिन युद्ध में लिया लोहा
राणा सांगा वीरता की मिसाल माने जाते हैं। उन्होंने इब्राहिम लोधी, महमूद खिलजी और बाबर समेत कई मुगल शासकों के खिलाफ 85 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं और दुश्मनों को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। युद्ध में उनके शरीर पर 80 घाव हो गए थे लेकिन लगातार वह युद्ध लड़ते रहे। लंबे चौड़े कद के राणा की हुंकार से मुगलों की सेना खौफ खाती थी। हाल ये था एक हाथ कट गए थे और पैर में भी तीर लगने के कारण वह काम नहीं कर रहा था लेकिन लड़ाई लड़ने के लिए राणा युद्ध भूमि में डटे रहते थे। उनकी एक आंख भी घाव के कारण खराब हो गई थी लेकिन इसके बाद भी उनका हौसला नहीं टूटा था।
इब्राहिम लोधी और माण्डु के सुल्तान को हराया
राणा सांगा ने सिंकदर लोधी के समय में दिल्ली के कई इलाकों में अपना साम्राज्य जमा लिया था। सिंकदर के उत्ताराधिकारी इब्राहिम लोधी ने 1517 में मेवाड़ पर आक्रमण किया लेकिन मुगल शासक को यहां हार का सामना करना पड़ा। राणा के पराक्रम के आगे वह टिक न सका। बताया जाता है कि इस लड़ाई के दौरान राणा का बायां हाथ कट गया था और घुटने पर तीर लगने से एक पैर खराब हो गया था लेकिन उन्होंने एक हाथ से ही दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। लोधी ने 1518 में राणा से हार का बदला लेने दोबारा विशाल सेना भेजी लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी। माण्डु के सुल्तान के साथ भी राणा ने लड़ाई लड़ी थी। युद्ध में सुल्तान को राणा ने बंदी बना लिया था, लेकिन बाद में उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया था। उसके सुल्तान ने दोबारा मेवाड़ की ओर रुख नहीं किया।
बाबर से नहीं किया समझौता
कहा जाता है कि बाबर ये चाहता था कि इब्राहिम लोधी के खिलाफ लड़ाई में राणा उनकी मदद करें, लेकिन राजपूत राजा ने दिल्ली और आगरा के युद्ध में बाबर का साथ देने से इनकार कर दिया था। राणा को लगा था कि बाबर भी तैमूर की तरह दिल्ली में लूटपाट कर लौट जाएगा। बाद में जब लोधी को हराने के बाद बाबर दिल्ली में शासन करने लगा तो राणा ने बाबर के खिलाफ युद्ध लड़ने का फैसला किया।
राणा ने 100 युद्ध लड़े और 99 जीते फिर धोखे से मारा गया
कहा जाता है कि राणा सांगा ने 100 युद्ध लड़े थे। इसमें से उन्होंने 99 में दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे और जीत हासिल की थी। अंत उन्हें धोखे से घेर कर मार दिया गया था। कहा यह भी जाता है कि उन्हें पहले जहर दिया गया था फिर जान ले ली गई थी।
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बाबर को राणा ने बुलाया इसका कोई प्रमाण नहीं
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि राणा सांगा ने ही बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया था। इसके बाद ही वह यहां आया था। हालांकि इस तथ्य को लेकर कोई साक्ष्य नहीं मिला है। ऐसे में इस वक्तव्य को लेकर अक्सर विवाद भी होता है।