राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और शशि थरूर (डिजाइन फोटो)
Shashi Tharoor: मंगलवार को संसद की शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में ‘विकसित भारत जी राम जी’ विधेयक पेश किया। यह विधेयक पेश होते ही एक ऐसा वाकया हुआ जिसकी किसी को अपेक्षा भी नहीं थी।
दरअसल, विधेयक चर्चा के लिए लोकसभा में पेश होते ही कांग्रेस महासचिव और केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने इसके विरोध में आवाज बुलंद कर दी। इसके बाद हैरत की बात तो तब हुए जब तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रियंका गांधी के सुर में सुर मिला दिया। जबकि वह लंबे से समय से कांग्रेस की लीक से हटकर चल रहे थे।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक विरोध किया। वायनाड सांसद ने कहा कि हर योजना का नाम बदलने की सनक से देश पर खर्च बढ़ रहा है। इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी तो हमारे परिवार से भी नहीं हैं, वह तो समूचे देश के हैं। फिर उनके नाम की योजना से परहेज क्यों?
कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन पर विपक्ष को आपत्ति है। सबसे बड़ी चिंता स्कीम को लागू करने के खर्च में केंद्र सरकार के हिस्से में कमी है। मनरेगा स्कीम में केंद्र सरकार का हिस्सा 90 प्रतिशत है, जबकि इस प्रस्तावित कानून में उसका हिस्सा घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया जाएगा। जिसके बाद शशि थरूर ने भी आपत्ति दर्ज कराई।
लोकसभा में प्रियंका गांधी (सोर्स- सोशल मीडिया)
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस योजना का नाम बदलने का विरोध करते हुए कहा कि मेरे बचपन में गाते थे। ‘देखो ऐ दीवानों ये काम न करो…राम का नाम बदनाम न करो।’ इस गीत के जरिए शशि थरूर ने विधेयक का नाम बदलने का विरोध किया। साथ ही उन्होंने प्रस्ताविक विधेयक में केंद्र सरकार की ओर से खर्च में कटौती का भी विरोध किया।
तिरुवनंतपुरम सांसद ने आगे कहा कि इस बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत योगदान देंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना के नाम में दो भाषाओं के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। यह संविधान के अनुच्छेद 340 का उल्लंघन है।
शशि थरूर (सोर्स- सोशल मीडिया)
उन्होंने आगे कहा कि यह महात्मा गांधी की विरासत का मजाक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना सिर्फ एक नाम हटाना नहीं है, बल्कि यह योजना के मूल मकसद को ही खत्म करना है। यह योजना लाखों गरीब लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई थी।
शशि थरूर के प्रियंका गांधी के सुर में सुर मिलाने के बाद सियासी हलकों चर्चाओं के नई बयार बह निकली है। क्योंकि एक लंबे अरसे के बाद शशि थरूर ने किसी कांग्रेस पार्टी के किसी लीडर की बात का खुलकर समर्थन और सरकार का विरोध किया है।
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इससे पहले कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य नेता जिस लीक पर चलते हुए दिखते थे, शशि थरूर उससे अलग दिखाई देते थे। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि कही शशि थरूर को राहुल गांधी की लीडरशिप से दिक्कत तो नहीं हो रही? क्या वह प्रियंका कांग्रेस के अंदर लीड रोल में तो नहीं देखना चाहते?
गौरतलब है कि तीन दिन पहले ‘वंदे मातरम’ पर बहस के दौरान राहुल गांधी संसद गायब रहे। जिसके बाद सत्ता से सवाल पूछने की ज़िम्मेदारी उनकी बहन और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने निभाई। दिलचस्प बात यह है कि प्रियंका गांधी ने उसी दिन भाषण दिया जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद को संबोधित किया था।