थरूर ने कहा था कि एक आरएसएस नेता ने नरेंद्र मोदी की तुलना 'शिवलिंग पर बैठे बिच्छू' से की
Shashi Tharoor Defamation Case: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए गए एक बयान के चलते मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी। कोर्ट ने कहा कि नेताओं और जजों को मोटी चमड़ी रखनी चाहिए। 2018 में शशि थरूर ने कहा था कि एक आरएसएस नेता ने नरेंद्र मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी।
इस बयान को लेकर भाजपा नेता राजीव बब्बर ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था। शशि थरूर ने इस मामले में कार्यवाही रोकने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को इतना भावुक नहीं होना चाहिए। ऐसे बयानों को दिल पर नहीं लेना चाहिए। शशि थरूर ने नवंबर 2018 में बेंगलुरु लिटरेचर फेस्टिवल में बोलते हुए कहा था कि एक आरएसएस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से की थी।
उनके इस बयान पर विवाद हुआ था और हाईकोर्ट ने कहा था कि उनका बयान प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। इसी आधार पर उनके खिलाफ दर्ज मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।
इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता राजीव बब्बर और शशि थरूर को इस मामले को खत्म करने की सलाह दी। पीठ ने कहा, ‘चलो इस पूरे मामले को खत्म करते हैं। इन बातों को लेकर इतना भावुक होने की क्या जरूरत है? प्रशासकों और न्यायाधीशों को मोटी चमड़ी रखनी चाहिए।’ फिलहाल वकीलों ने जवाब देने के लिए समय मांगा है और अब अगली सुनवाई में मामले का भविष्य तय होगा।
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आपको बता दें कि बब्बर द्वारा मानहानि का मुकदमा दायर करने के बाद निचली अदालत ने शशि थरूर को समन जारी किया था। शशि थरूर का कहना है कि मैंने जो कहा, वह मेरा बयान नहीं था। दरअसल, यह बयान गोवर्धन झड़ापिया का था।