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नई दिल्ली: ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को असहमति पत्र सौंपा है। विपक्ष के नेता होने के नाते राहुल गांधी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति के सदस्य भी हैं। इस पत्र को सार्वजनिक करते हुए उन्होंने सरकार पर चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “चुनाव आयुक्त के चयन के लिए गठित समिति की बैठक में मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को असहमति पत्र सौंपा। इसमें मैंने स्पष्ट किया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त होनी चाहिए।”
राहुल गांधी ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया। उन्होंने लिखा कि CJI को समिति से हटाकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इससे देश के करोड़ों मतदाताओं की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर चिंता और बढ़ गई है।
During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive interference is the process of choosing the Election… pic.twitter.com/JeL9WSfq3X — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2025
राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का फैसला आधी रात को लेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की गरिमा के खिलाफ है, जबकि चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार शाम को हुई चयन समिति की बैठक के बाद ज्ञानेश कुमार को भारत का नया सीईसी नियुक्त किया गया। समिति में गृह मंत्री और राहुल गांधी भी शामिल हैं। ज्ञानेश कुमार मौजूदा सीईसी राजीव कुमार की जगह लेंगे। वह नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले सीईसी हैं। यह कानून 2023 में पारित हुआ था।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में, बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे राष्ट्र-निर्माता नेताओं के आदर्शों को बनाए रखना और सरकार को जवाबदेह ठहराना मेरा कर्तव्य है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में जब समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है, नए सीईसी के चयन के लिए आधी रात को फैसला लेना असभ्य और शत्रुतापूर्ण दोनों है।
राहुल गांधी ने जून 1949 में संविधान सभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर के भाषण का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया था और चेतावनी दी थी कि चुनाव आयोग के मामलों में कार्यपालिका द्वारा हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है।
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उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक समिति के गठन का आदेश दिया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने 2023 में एक कानून पारित किया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से हटा दिया गया और इसमें एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा।