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RTI disclosure: माननीयों की ‘महनीय निर्ल्लजता’ की एक ऐसी मिसाल सामने आई है जिसे जानकर आप माथा पकड़ लेंगे। RTI में एक ऐसा खुलासा हुआ जिसके बारे में पता चलते ही आप भी ये सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि गांव-गरीब को वादों की पोटली थमाकर कुर्सी तक पहुंचने वाले सियासतदान कितने शातिर हैं।
हाल ही में एक RTI से पता चली जानकारी ने एक बड़ा पॉलिटिकल सवाल खड़ा कर दिया है। क्योंकि बिहार और केंद्र सरकार के कई नेता एक ही समय पर सैलरी और पेंशन दोनों ले रहे हैं। यह खुलासा 2 दिसंबर, 2025 की एक RTI के जवाब में हुआ, जिसमें आठ नेताओं के नाम शामिल हैं। इनमें मोदी सरकार और नीतीश कुमार सरकार के मंत्री भी शामिल हैं, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
RTI में सामने आए नेताओं के नामों में सबसे चौंकाने वाले नाम केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे और बिहार के वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के हैं। इनके अलावा, उपेंद्र कुशवाहा, देवेश चंद्र ठाकुर, ललन कुमार सर्राफ, नीतीश मिश्रा, संजय सिंह और भोला यादव जैसे नेता भी लिस्ट में शामिल हैं। सभी नेता कई सालों से बिना किसी रुकावट के अपनी पेंशन ले रहे हैं, जबकि नियमों के मुताबिक, किसी भी सदन का सदस्य रहते हुए पेंशन लेना पूरी तरह से गैर-कानूनी है। नीचे RTI से सामने आई पेंशन लिस्ट दी गई है।
उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद हैं और 2005 से पेंशन ले रहे हैं। वे एनडीए के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रेसिडेंट हैं। सतीश चंद्र दुबे अभी भारत सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। वे पहले विधायक और लोकसभा सांसद थे, फिर 2019 में राज्यसभा में शामिल हुए। बिजेंद्र प्रसाद यादव 1990 से सुपौल से विधायक हैं और अभी बिहार के फाइनेंस और एनर्जी मिनिस्टर हैं।
| राजनेता का नाम | पेंशन राशि | पेंशन शुरुआत तिथि |
|---|---|---|
| सतीश चंद्र दूबे | 59,000 | 26-05-2019 |
| बिजेंद्र प्रसाद यादव | 10,000 | 24-05-2005 |
| उपेंद्र कुशवाहा | 47,000 | 07-03-2005 |
| देवेश चंद्र ठाकुर | 86,000 | 07-05-2020 |
| ललन सर्राफ | 50,000 | 24-05-2020 |
| संजय सिंह | 68,000 | 07-05-2018 |
| नितीश मिश्रा | 43,000 | 22-09-2015 |
| भोला यादव | 65,000 | चुनाव हार चुके हैं |
जदयू नेता और 2024 से लोकसभा सांसद देवेश चंद्र ठाकुर लेजिस्लेटिव काउंसिल के पूर्व चेयरमैन भी हैं। ललन सराफ एक सीनियर जेडीयू नेता और लेजिस्लेटिव काउंसिल मेंबर हैं। नीतीश मिश्रा भाजपा विधायक हैं और उनका दावा है कि उन्हें अभी पेंशन नहीं मिल रही है। संजय सिंह जेडीयू एमएलसी हैं और 2018 से पेंशनर हैं।
पेंशन और सैलरी के बारे में नियम बहुत साफ हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी भी हाउस का मेंबर है और सैलरी ले रहा है, तो उसे पेंशन नहीं मिल सकती। पेंशन पाने वाला जिंदा है और एलिजिबल है, यह साबित करने के लिए हर साल लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होगा। इसके अलावा, पेंशन जारी रखने के लिए यह लिखकर देना ज़रूरी है कि वह व्यक्ति अब राज्य या केंद्र सरकार में किसी पद पर काम नहीं कर रहा है।
इससे यह बड़ा सवाल उठता है कि मंत्रियों और सांसदों को पेंशन कैसे मिल रही है। जानकारों का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद इन नेताओं के अकाउंट में पेंशन का आना एक गंभीर एडमिनिस्ट्रेटिव चूक है और यह सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाता है।
पटना हाई कोर्ट के सीनियर वकील सर्वदेव सिंह ने इसे “आर्थिक अपराध” का मामला बताया है। उनका कहना है कि कोई भी सम्मानित व्यक्ति पद पर रहते हुए पेंशन नहीं ले सकता है। इसके बावजूद यदि ऐसा हो रहा है, तो यह पेंशन के नियमों और कानूनों दोनों का उल्लंघन है। RTI फाइल करने वाले एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय का कहना है कि उन्होंने यह जानकारी सरकारी रिकॉर्ड से ली है और पारदर्शिता के लिए इसे पब्लिक कर दिया है।
दैनिक भास्कर के मुताबिक संपर्क करने पर ज्यादातर नेताओं ने फोन नहीं रिसीव किया। हालांकि कुछ ने साफ किया कि उनकी पेंशन उनके अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुई है या गलत तरीके से रिकॉर्ड की गई है। बातचीत में देवेश चंद्र ठाकुर और नीतीश मिश्रा ने इस जानकारी को अधूरी बताया और कहा कि अगर उनके अकाउंट में कोई पेंशन क्रेडिट हुई है, तो वे उसे वापस कर देंगे।
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ठाकुर ने साफ-साफ कहा कि उन्होंने कभी पेंशन के लिए रिक्वेस्ट नहीं की। इसके साथ ही नीतीश मिश्रा ने दावा किया कि उन्हें 2015 में सिर्फ एक महीने की पेंशन मिली थी, जब वे किसी भी हाउस के मेंबर नहीं थे। लेकिन सदन का मेंबर बनने के बाद से उन्हें पेंशन नहीं मिली है।
दूसरी तरफ राजनैतिक हलकों में RTI लिस्ट सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार की ट्रांसपेरेंसी और करप्शन पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। यह मामला आने वाले दिनों में एक बड़ा सियासी विवाद बन सकता है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के मौजूदा मंत्री शामिल हैं।