शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद (सोर्स- सोशल मीडिया)
Shankaracharya Avimukteshwaranad on PM: ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मंगलवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई पहुंचे। यहां उन्होंने न केवल रामभद्राचार्य और प्रेमानंद विवाद पर टिप्पणी की बल्कि भारत के प्रधानमंत्री पद को लेकर बड़ा बयान दिया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज से जब मुंबई में रामभद्राचार्य और प्रेमानंद विवाद को लेकर पूछा गया कि हिंदू संतों में युद्ध जैसी स्थिति क्यों है, जहां सब एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, तो उन्होंने कहा, “संतों में कोई विवाद नहीं है। संत नियमित रूप से चर्चा करते रहते हैं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आगे कहा कि यहां तो रोजाना वाद-विवाद होता है। अगर आप सेना में जाते हैं, तो प्रतिदिन शस्त्र अभ्यास होता है। इसलिए लड़ाई नहीं होती। यही हमारा अभ्यास है। जब कोई विरोधी सामने आएगा, तो हम जवाब कैसे देंगे?
Mumbai, Maharashtra: When asked why there is a war-like situation among Hindu saints, with everyone accusing each other, Swami Avimukteshwarananda Saraswati Maharaj says, “There is no dispute among the sadhus. Sadhus keep discussing matters regularly. Here, debates happen every… pic.twitter.com/LCr2cNKn1q
— IANS (@ians_india) August 26, 2025
उन्होंने आगे कहा कि अगर हम आपस में लड़कर अपने तर्कों की परीक्षा नहीं लेंगे, तो हम विरोधियों को जवाब नहीं दे पाएंगे। तरकश के तीरों की परीक्षा तो होनी ही है, यही युद्ध अभ्यास है। हमारे बीच समय-समय पर ऐसा होता रहता है। इसे विवाद नहीं माना जाना चाहिए।
इस दौरान जब उनसे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा किजनता जिसे प्रधानमंत्री बनाती है, वही बनता है। राहुल और राजा नहीं बनते। जनता उसे ही प्रधानमंत्री बनाएगी जिसे वह सही समझेगी।
Mumbai, Maharashtra: When asked whether Lok Sabha LoP Rahul Gandhi can become Prime Minister, Swami Avimukteshwarananda Saraswati Maharaj says, “The Prime Minister is chosen by the people. Whoever the people consider right, they will make that person the Prime Minister” pic.twitter.com/VudB5qQ7zJ
— IANS (@ians_india) August 26, 2025
बता दें कि हाल ही में स्वामी रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज पर को लेकर एक टिप्पणी की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रेमानंद बालक के समान हैं। उन्हें शास्त्रों का ज्ञान नहीं है। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को उनके कहे श्लोकों का अर्थ बताने का चैलेंज भी दिया था।
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इस चैलेंज को लेकर जब अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज से सवा पूछा गया तो उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि “क्या संस्कृत बोलना ही विद्वता है?” फिलहाल इस मुद्दे पर रामभद्राचार्य ने नरमी अख्तियार कर ली है। उन्होंने कल एक बयान में प्रेमानंद को पुत्रवत बताया था।