राहुल गांधी ने इंडिगो मामले पर सरकार पर साधा निशाना (सोर्स- सोशल मीडिया)
Rahul Gandhi on Indigo Crisis: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की लगातार तीसरे दिन उड़ानों की रद्द और देरी की घटनाओं पर अब राजनीतिक बयानबाजी हो गई है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए इसे सरकार की ‘मोनोपॉली मॉडल’ वाली आर्थिक नीतियों का परिणाम बताया। शुक्रवार को इंडिगो ने अपनी 550 से ज्यादा उड़ाने रद्द की है।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक अखबार के आर्टिकल को साझा करते हुए लिखा कि इंडिगो संकट इस सरकार के मोनोपॉली मॉडल की कीमत है। उन्होंने कहा कि आम भारतीय फिर से उड़ानों में देरी, रद्दीकरण और असहायता का सामना कर रहे हैं। उनका कहना था कि भारत को हर सेक्टर में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा चाहिए, न कि किसी तरह की मोनोपॉली जैसी मैच-फिक्सिंग।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि देश आज एक मोड़ पर खड़ा है, जहां या तो भय का शासन होगा या व्यवसायिक आजादी का। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के उदाहरण को देते हुए कहा कि इतिहास में भी भारत को ताकत से नहीं बल्कि मोनोपॉली और दबाव की नीति से दबाया गया था, और आज वही स्थिति कुछ उद्योगपतियों के कारण दोबारा बन रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई उद्योगपतियों ने भारी संपत्ति तो जुटाई है, लेकिन आर्थिक असमानता बढ़ा दी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश के संस्थान अब आम जनता के लिए नहीं, बल्कि मोनोपॉली समूहों के लिए काम कर रहे हैं। लाखों छोटे व्यवसाय चौपट हो रहे हैं और रोजगार पैदा नहीं हो रहा। राहुल गांधी ने कारोबारियों पर भी हमला किया कि वे सरकारी और मोनोपॉली दबावों से डर कर अपने व्यवसाय बेचने को मजबूर हो रहे हैं। उन्हें आईटी, सीबीआई और ईडी की छापों का भय रहता है।
हालांकि, उन्होंने कुछ ईमानदार उद्योगपतियों का भी उल्लेख किया जो बिना मोनोपॉली के सफलता हासिल कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि उनकी राजनीति हमेशा कमजोरों और आवाजहीनों के लिए रही है, लेकिन अब वे समझ गए हैं कि व्यवसायी समुदाय के साथ भी अन्याय हो रहा है।
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उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह किसी एक व्यवसाय को दूसरों की कीमत पर बढ़ावा न दे और सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए न करे। उन्होंने कहा कि बैंकों को केवल बड़े उधारकर्ताओं पर निर्भर रहने के बजाय ‘प्ले फेयर बिजनेस’ का समर्थन करना चाहिए।