प्रियंका गांधी (फोटो- सोशल मीडिया)
वायनाडः नेहरू-गांधी परिवार के 11वीं सदस्य के रूप में प्रियंका गांधी की देश की सबसे बड़ी पंचायत में एंट्री हो गई है। वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस महासचिव की एक तरफा जीत हुई है। उन्होंने 410931 लाख वोटों से जीत दर्ज की है। प्रियंका गांधी के सियासी करियर का यह पहला चुनाव था, जहां उनका मुकाबला भाकपा के वरिष्ठ नेता सत्यन मोकेरी और भाजपा की नव्या हरिदास से था।
सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थी कि क्या वह अपने भाई राहुल गांधी जैसी बड़ी जीत को दोहरा पाती हैं। क्योकि वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी ने 2019 में 4,31,770 वोट और 2024 में 3,64,422 वोट से चुनाव जीता था। राहुलगांधी ने इस साल की शुरुआत में वायनाड सीट खाली कर दी थी क्योंकि अमेठी से सांसद बने रहने का फैसला किया था. वह नेहरू-गांधी परिवार की ओर राजनीति में एंट्री करने वाली 11वीं सदस्य हैं।
संसद पहुंचने वाली गांधी परिवार 11 वीं सदस्य प्रियंका
प्रियंका से पहले गांधी परिवार में से जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री हो चुकी है। प्रियंका गांधी अब अपनी राजनीति देश के दक्षिणी हिस्से से शुरू करेंगी। वह गांधी-नहरू परिवार की 5 महिला हैं, जो लोकसभा पहुंच गई हैं।
संसद की सियासत में दिखेगा बदलाव
गौरतलब है कि प्रियंका गांधी की चुनावी राजनीति में एंट्री से देश और कांग्रेस की सियासत में बदलाव देखने को मिल सकता है। संसद की कार्रवाई के दौरान कई बार देखा गया है कि अपनी खराब वाक पटुता के कारण कांग्रेस फंस जाती है। हालांकि जब से राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, तब से विपक्ष थोड़ी जान आ गई है।
राहुल अक्रामक, प्रियंका शांत एवं सधी हुई सियासत
राहुल अक्रामक रवैया लोगों को काफी पंसद आ रहा है, लेकिन गांधी की हिंदी भाषा की कमजोरी आए दिन उजागर होती रहती है। कांग्रेस को करीब से जानने वालों का कहना है कि राहुल गांधी सही मुद्दों को सही तरीके से उठाते हैं, उनकी कमजोरी ये है कि वह अंग्रेजी में सोचते हैं और उसे ट्रांसलेट करके हिंदी में बोलते है।
वहीं प्रियंका गांधी के साथ ऐसा नहीं है। उनकी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर मजबूत पकड़ है। यही वजह उनके सियासी हमले से कई बार भाजपा बैकफुट पर नजर आई है। प्रियंका गांधी को अब कांग्रेस दूसरी इंदिरा गांधी बताते रहे हैं। जिससे कयास लगाया जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को पीछे करके प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाया जा सकता है। प्रियंका की सियासी समझ और कॉमनेस नेताओं को काफी पसंद आता है।