प्रशांत किशोर व प्रियंका गांधी (डिजाइन फोटो)
Prashant Kishor: चुनावी रणनीतिकार से सियासतदान बने प्रशांत किशोर ने हाल ही में इंडियन नेशनल कांग्रेस की महासचिव और केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। इस मुलाकात ने पटना से दिल्ली तक राजनीतिक गलियारों में जोरदार अटकलों को जन्म दिया है।
सूत्रों का दावा है कि यह मुलाकात उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में 2027 के विधानसभा चुनावों के संदर्भ में हुई थी। हालांकि, न तो प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज और न ही कांग्रेस पार्टी ने इस मुलाकात के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है।
यह मुलाकात बिहार विधानसभा चुनावों के लगभग एक महीने बाद हुई। जिसके चलते इस मीटिंग को एक सामान्य राजनीतिक शिष्टाचार से कहीं ज्यादा माना जा रहा है। यह मीटिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि किशोर लंबे समय से कांग्रेस के मुखर आलोचक रहे हैं। जबकि अब पार्टी में उनके संभावित प्रवेश को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
प्रशांत किशोर और प्रियंका गांधी के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बिहार विधानसभा चुनावों में जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। किशोर की पार्टी एक भी सीट जीतने में नाकाम रही। उसके 238 में से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
इस नतीजे ने किशोर की रणनीतिक विश्वसनीयता और भविष्य की राजनीतिक दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का प्रदर्शन भी खराब रहा। 2020 की 19 सीटों की तुलना में उसे 61 में से सिर्फ छह सीटें मिलीं। इस साझा राजनीतिक संकट ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत के लिए ज़मीन तैयार की है।
प्रियंका गांधी व प्रशांत किशोर की मुलाकात (सांकेतिक तस्वीर- AI जनरेटेड)
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात सिर्फ एक शिष्टाचार भेंट नहीं हो सकती, बल्कि संभावनाओं को तलाशने की कोशिश भी हो सकती है। कांग्रेस संगठन नई ऊर्जा और रणनीतिक दिशा की तलाश में है। दूसरी तरफ प्रशांत किशोर को एक राष्ट्रीय मंच की ज़रूरत महसूस हो रही है। यही वजह है कि इस मुलाकात को कांग्रेस में उनके संभावित प्रवेश का पहला संकेत माना जा रहा है, भले ही इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं हुई हो।
प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच रिश्ता नया नहीं है। चाहे रणनीतिकार के तौर पर हो या राजनीतिक सलाहकार के तौर पर, किशोर पहले भी कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत कर चुके हैं। 2020 के बिहार चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई थी। उन्होंने मतदाता सूची में संशोधन की मांगों और राहुल गांधी के वोट में धांधली के आरोपों को राज्य में अप्रासंगिक बताया था। हालांकि, उस समय उनकी आलोचना के बावजूद उनका अपना चुनावी प्रयोग भी असफल रहा।
2021 में JDU से निकाले जाने के बाद किशोर ने गांधी परिवार से संपर्क किया और कांग्रेस पार्टी को फिर से ज़िंदा करने के लिए एक रोडमैप पेश किया। दोनों पक्षों के बीच 2022 में औपचारिक बातचीत शुरू हुई। अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के जनपथ स्थित आवास पर एक अहम बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कई सीनियर नेता शामिल हुए।
प्रशांत किशोर (सोर्स- सोशल मीडिया)
इस बैठक में प्रशांत किशोर ने संगठनात्मक सुधारों, चुनावी रणनीति और नेतृत्व संरचना पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। उस समय किशोर कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक माने जा रहे थे, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई थीं। हालांकि ऐसा नहीं हो सका था।
सोनिया गांधी ने किशोर के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया और बाद में ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ के गठन की घोषणा की। कांग्रेस नेतृत्व ने किशोर को इस ग्रुप में सदस्यता की पेशकश की। किशोर ने तर्क दिया कि पार्टी को बाहरी सलाह से ज्यादा मज़बूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्होंने ज्यादा अधिकार और आज़ादी मांगी, जिस पर सहमति नहीं बन पाई और बातचीत टूट गई।
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इसके बाद कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा कि किशोर के प्रयासों और सुझावों की सराहना की गई, लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। किशोर ने कांग्रेस की ढांचागत कमज़ोरियों को उजागर करके पलटवार किया। अब, बिहार चुनावों के बाद प्रियंका गांधी के साथ हालिया मुलाकात ने पुराने अध्याय को फिर से खोल दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या दोनों पक्ष अपने पिछले मतभेदों से आगे बढ़ पाएंगे। क्या कांग्रेस किशोर को कोई अहम भूमिका देने के लिए तैयार होगी, या यह बैठक सिर्फ बातचीत तक ही सीमित रहेगी? फिलहाल, इस बैठक ने यह तो पक्का कर दिया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीति और प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज होंगी।