कर्नाटक हाईकोर्ट से प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका को सेसन कोर्ट में अपील का आदेश (फोटो- सोशल मीडिया)
बेंगलूरु: दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे जनता दल (एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को कर्नाटक हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज नहीं किया, लेकिन उन्हें स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि वे पहले सत्र न्यायालय का रुख करें। अदालत ने कहा कि यदि सत्र न्यायालय उनकी याचिका पर निर्णय नहीं देता या राहत नहीं मिलती, तभी वे हाईकोर्ट में दुबारा से आ सकते हैं।
पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर तीन अलग-अलग एफआईआर में यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के आरोप लगे हैं। इन मामलों की जांच विशेष जांच दल (SIT) कर रही है। गंभीर आरोपों के बाद जनता दल (एस) ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था। इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब कुछ पीड़ित महिलाओं के बयान सार्वजनिक हुए और कथित कई आपत्तिजनक वीडियो सामने आए थे। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद अब प्रज्वल रेवन्ना की जमानत प्रक्रिया में एक और कानूनी चरण जुड़ गया है।
हाईकोर्ट का सख्त रुख, प्रक्रिया का पालन करें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी आरोपी सीधे उच्च न्यायालय की शरण में न आए जब तक कि निचली अदालत की प्रक्रिया पूरी न हो। अदालत ने साफ किया कि रेवन्ना को कानूनन पहले सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करनी चाहिए। न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की पीठ ने यह निर्देश देते हुए याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना और इसे वापस लेने की अनुमति दे दी।
पार्टी से निलंबन और SIT की जांच से बढ़ी मुश्किलें
प्रज्वल रेवन्ना, जो पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते हैं, पर महिलाओं से दुष्कर्म, उत्पीड़न और धमकी के आरोप हैं। मामला तब और गरमा गया जब कथित आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। जनता दल (एस) ने राजनीतिक दबाव को देखते हुए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। अब SIT जांच तेज कर चुकी है और कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है।
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हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब कानूनी प्रक्रिया में तेजी आने की संभावना है। रेवन्ना को अब अपनी जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे कर्नाटक की राजनीति में एक अहम मोड़ माना जा रहा है, जहां एक बड़े राजनीतिक परिवार का सदस्य अब कानून के शिकंजे में है।