संसद सत्र के बाद पीएम मोदी ने विपक्षी नेताओं के साथ चाय पी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Om Birla Tea Party: संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को खत्म हो गया। सत्र समाप्त होने के बाद संसद भवन में एक अलग ही राजनीतिक माहौल देखने को मिला। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई प्रमुख नेता एक साथ नजर आए। इस दौरान संसद के कामकाज और सत्र की कार्यवाही पर चाय पर अनौपचारिक चर्चा हुई।
संसद की इस चाय पार्टी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, ललन सिंह, किरण रिजिजू, अर्जुनराम मेघवाल शामिल थे। विपक्ष से एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी के राजीव राय व धर्मेंद्र यादव, तथा डीएमके के ए राजा जैसे फ्लोर लीडर मौजूद रहे।
जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और प्रियंका गांधी के बीच वायनाड को लेकर सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बातचीत हुई। इसके अलावा, संसद भवन में एक समर्पित हॉल की मांग भी उठी, जैसा कि पुराने संसद भवन में था, लेकिन वह बहुत कम इस्तेमाल होता था। चाय पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने यह भी बताया कि सत्र बहुत उपयोगी रहा, लेकिन इसे और आगे बढ़ाया जा सकता था, क्योंकि देर रात तक विधेयक पारित करना आदर्श नहीं माना जाता।
18वीं लोकसभा के छठे सत्र के समापन के पश्चात माननीय प्रधानमंत्री @narendramodi जी एवं सभी दलों के गणमान्य नेताओं के साथ संसद भवन स्थित कार्यालय में सुखद वार्ता हुई। pic.twitter.com/MUXDD6opsV — Om Birla (@ombirlakota) December 19, 2025
इस दौरान हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा गया कि विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के कारण सत्र अपेक्षाकृत छोटा रहा। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने मजाकिया लहजे में कहा कि वह विपक्ष की आवाजो पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहते थे। इस शीतकालीन सत्र में ‘जी राम जी’ बिल, दिल्ली में प्रदूषण और वंदे मातरम मुद्दे का मुद्दा छाया रहा। सत्र के दौरान पक्ष और विपक्षी नेताओं द्वारा कई मुद्दों पर जोरदार भाषण दिया गया।
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यह चाय पार्टी प्रधानमंत्री मोदी की परंपरा का हिस्सा है, जिसमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाता है। इसे संसदीय लोकतंत्र में संवाद और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। पिछले मानसून सत्र के समापन पर भी चाय पार्टी हुई थी, लेकिन तब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे बहिष्कार किया था। अब शीतकालीन सत्र के बाद सभी दलों के नेताओं का एक साथ चाय पर चर्चा करना राजनीतिक दृष्टि से सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।