किरेन रिजिजू और असदुद्दीन ओवैसी (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया एक्स पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू घेर लिया। औवेसी ने कहा कहा कि आप राजा नहीं हैं, बल्कि एक लोकतांत्रित देश मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को अधिकारी दान में नहीं मिले हैं। उनके अधिकार मौलिक हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने अपना एक सोशल मीडिया पर एक लेख शेयर किया था। इसमें उन्होंने पीएम मोदी और भारत सरकार की जमकर तारीफ की। रिजिजू ने अपने लेख को शेयर करते हुए लिखा कि भारत एक ऐसा देश हैं, जहां बहुसंख्यकों से ज्यादा अल्पसंख्यकों को लाभ और सुरक्षा मिलती है।
पोस्ट के नीचे कमेंट आगे रिजिजू ने लिखा कि हमारे पड़ोसी देशों से अल्पसंख्यक भारत आना क्यों पसंद करते हैं और हमारे देश से अल्पसंख्यक पलायन क्यों नहीं करते? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करती हैं।
इसी पोस्ट पर ओवैसी ने रिजिजू को घेरते हुए एक लंबा चौड़ा पोस्ट कर दिया। उन्होंने किरेन रिजिजू को राजा के बजाय भारतीय गणराज्य का मंत्री बताते हुए कहा कि “अल्पसंख्यकों के अधिकार” “दान” के बजाय “मौलिक” हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि क्या हर रोज़ पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना “लाभ” है। उन्होंने पूछा कि क्या सुरक्षा है कि भारतीय नागरिकों को अपहरण करके बांग्लादेश में धकेला जा रहा है। क्या लिंच किए जाने से सुरक्षा मिलती है? इसके आगे ओवैसी ने ‘एक्स’ पर लिखा कि आप भारतीय गणराज्य के मंत्री हैं, राजा नहीं। किरेन रिजिजू आप संवैधानिक पद पर हैं, सिंहासन पर नहीं।
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इतना ही नहीं इसके बाद हैदराबाद सांसद ने पीएम मोदी से भी तीखे सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि क्या उनके भड़काउ भाषणों का निशाना बनना सम्मान है। एआईएमआईएम प्रमुख ने उल्लेख किया कि भारतीय अल्पसंख्यक द्वितीय श्रेणी के नागरिक भी नहीं हैं, बल्कि बंधक बन गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि क्या हमारे घरों, मस्जिदों और मजारों को अवैध रूप से ध्वस्त होते देखना एक विशेषाधिकार है? सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अदृश्य बना दिया जाना? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सहित अन्य नेताओं के नफरती भाषणों का निशाना बनना सम्मान है?
ओवैसी ने किरेन रिजिजू से पूछा कि क्या “मुसलमानों” को “हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड” में शामिल किया जा सकता है, जबकि वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने के लिए मजबूर करता है”। एआईएमआईएम प्रमुख ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप को बंद कर दिया और पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति को “सीमित” कर दिया, क्योंकि वे “मुस्लिम” छात्र थे। “अगर आप “एहसान” के बारे में बात करना चाहते हैं, तो इसका जवाब दें?