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ITBP का स्थापना दिवस आज, जानिए क्यों पड़ी थी इस विशेष सुरक्षाबल के गठन की ज़रूरत, क्या है पूरी कहानी?

आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा करना है जिसके लिए ये जवान यहां अति दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में रहते हुए हर वक्त देश की रक्षा में मुस्तैदी से तैनात रहते हैं।

  • By रीना पंवार
Updated On: Oct 24, 2024 | 04:00 AM

(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)

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नवभारत डेस्क : ITBP यानी भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस एक भारतीय अर्ध-सैनिक बल है। इसकी स्थापना भारत-चीन वार के बाद 24 अक्टूबर 1962 को देश की उत्तरी सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी। ये बल काराकोरम दर्रा से लिपुलेख दर्रा और भारत-नेपाल-चीन तक 2115 किमी की लम्बाई पर फैली अति दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र वाली सीमा की रक्षा के लिए हरदम मुस्तैद रहता है। शुरूआत में इसका गठन केवल चार पलटनों के एक छोटे से दल के तौर पर हुआ था।

वर्तमान में आईटीबीपी में 60 सर्विस बटालियन, 4 स्पेशलिस्ट बटालियन, 17 ट्रेनिंग सेंटर और 07 रसद प्रतिष्ठान हैं। इनकी कुल क्षमता लगभग 88,432 कर्मियों की है। आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत-तिब्बत सीमा की सुरक्षा करना, बॉर्डर के पास रह रही भारतीय जनता को सुरक्षा की भावना प्रदान करना तथा जरूरत पड़ने पर आपदा प्रबन्धन के कार्य आदि करना है।

दुर्गम परिस्थितियों में करते हैं सीमाओं की रक्षा

आईटीबीपी के जवान यहां दुर्गम परिस्थितियों में रहते हुए हर वक्त देश की रक्षा में मुस्तैदी से तैनात रहते हैं। भारत और तिब्बत सीमा की भौगोलिक परिस्थितियां बहुत की कठिन हैं। आईटीबीपी के जवानों को देश की सुरक्षा के दौरान यहां माइनस 45 डिग्री तापमान, दुर्गम ऊंची-नीची गहरी घाटियों के खतरनाक रास्तों, खतरनाक ग्लेशियर, गहरी नदियों, 3,488 किमी लम्बे दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र और कई अन्य प्राकृ्तिक चुनौतियों का सामना हर रोज करना पड़ता है। यह सीमा जम्मू कश्मीर में काराकोरम दर्रे से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में दिफू ला दर्रे तक फैली हुई है।

आईटीबीपीएफ की भूमिका

आईटीबीपी के जवानों से 1965 के भारत पाक वार में हिस्सा लेते हुए दुश्मनों को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ा था। 1971 के वार में भी बल से अभूतपूर्व योगदान देते हुए श्रीनगर और पुंछ में घुसपैठियों के कई ठिकानों को नष्ट किया। यह बल आईबी के साथ मिलकर सीमा पार से होने वाली अवैध घुसपैठ, अपराध और तस्करी आदि को रोकने के लिए भी कार्य करता है।

1982 में सौंपे गए अतिरिक्त दायित्व

1982 तक इस बल की भूमिका हिमालय क्षेत्र तक की सीमित थीं, लेकिन वक्त के साथ इसे देश की सुरक्षा से संबंधित अन्य चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। 1982 में आयोजित एशियाड के दौरान बल ने कई स्टेडियमों, विभिन्न देशों से आए खिलाड़ियों के दलों, और कई अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाई।

आईटीबीपी के नागरिक कार्यक्रम

अपने नागरिक कार्यक्रमों के तहत भी बल लगातार प्रशंसनीय कार्य करता आ रहा है। बल द्वारा सीमा की रक्षा के साथ ही वहां रहने वाले लोगों के साथ भी सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाए हैं। इसके तहत आईटीबीपी के जवानों ने न केवल सीमा पर रह रहे लोगों के दिलों में सुरक्षा की भावना पैदा की है बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों की मदद, पुल और सड़कों का निर्माण और चिकित्सा शिविरों का आयोजन कर एक उदार बल के रूप में सराहनीय काम किया है।

फोर्स का खेलों में रहा है शानदार प्रदर्शन

इसके अलावा आईटीबीपी के जवानों द्वारा समय-समय पर आयोजित होने वाले खेलों में भी अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया जाता रहा है। पर्वतारोहण में तो इस बल ने कई मिसाले कायम की हैं। इस बल ने विश्व की कई ऊंची चोटियों समेत ऐवरेस्ट और कंचनजंगा पर भी तिरंगा फहराने का गौरव हासिल किया है। इसके अलावा स्कीइंग और रिवर राफ्टिंग में भी इस बल का शानदार प्रदर्शन रहा है। बल ने विंटर ओलम्पिक में और एशियन विंटर गेम्स में दो बार देश का प्रतिनिधित्व किया है। वहीं, रिवर राफ्टिंग में बल ने ब्रह्मपुत्र में 1100 किमी लम्बा सफर तय कर मिसाल कायम की है।

उपलब्धियों के मिल चुके कई प्रतिष्ठित पुरस्कार

ITBP का आदर्श वाक्य है शौर्य-दृढ़ता-कर्म निष्ठा। अपनी अनेक उपलब्धियों के लिए बल को अब तक कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं जिनकी फेहरिस्त काफी लंबी है। इनमें 7 पद्मश्री, 2 कीर्ति चक्र, 6 शौर्य चक्र, 6 सेना पदक, 14 तेनजिंग नोर्गे साहसिक पुरस्कार, 86 प्रधानमंत्री जीवन रक्षक पदक आदि शामिल हैं।

On the foundation day of itbp know why there was a need for this special security force

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Published On: Oct 24, 2024 | 04:00 AM

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