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नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। खासकर चुनावी राज्य बिहार में विपक्ष इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। इसकी एक झलक पिछले दिनों रमजान के दौरान भी देखने को मिली थी। राज्य में मुस्लिम समुदाय ने इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया था और लालू प्रसाद यादव ने इसमें हिस्सा लिया था। वहीं, नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में कई मुस्लिम संगठन शामिल नहीं हुए, क्योंकि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध नहीं कर रही है।
इस बीच, ईद की छुट्टी के बाद मंगलवार को संसद की कार्यवाही शुरू हुई। लेकिन, इस विधेयक को लेकर एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू और टीडीपी का रुख चर्चा का विषय बना हुआ है। जेडीयू ने साफ कर दिया है कि उसकी नजर विधेयक के अंतिम स्वरूप पर टिकी है, जबकि टीडीपी ने भी इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाया है। दोनों ही दल एनडीए के अहम सहयोगी हैं, ऐसे में उनके रुख का असर विधेयक के भविष्य पर पड़ सकता है।
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में वक्फ विधेयक को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की थीं। हमें उम्मीद है कि इन सुझावों को विधेयक में शामिल किया जाएगा। हमारी पार्टी का मानना है कि हिंदू और मुसलमानों को एक दूसरे से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि वक्फ बिल में पहले भी संशोधन हुए हैं और जेडीयू शुरू से ही इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाती रही है।
उक्त जेडीयू नेता ने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम संगठनों और वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। इन चर्चाओं के बाद पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को जेपीसी के समक्ष रखा था। अब जेडीयू बिल के अंतिम मसौदे का इंतजार कर रही है, जिसके बाद वह इस पर अंतिम फैसला लेगी।
इसके अलावा जदयू के ललन सिंह ने कहा कि हम संसद में इस बिल पर अपना रुख साफ करेंगे। वहीं, संजय झा ने एक बयान में कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति जब तक है तब तक लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी। इन दोनों नेताओं के बयान को भी केन्द्र की मोदी सरकार को इशारा माना गया। यही वजह है कि अमित शाह दोनों नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
#WATCH | दिल्ली: JDU सांसद संजय झा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर कहा, “नीतीश कुमार पिछले 19 सालों से बिहार में काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लिए जो काम किया है वह भी सामने है… वक्फ बिल पहली बार नहीं आ रहा है। पहले भी 2013 में संशोधित बिल आया था… सबसे बड़ा… pic.twitter.com/ZNy6VZO6ON
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 1, 2025
उधर, वक्फ बिल पर अपने रुख को लेकर टीडीपी ने भी नपी-तुली प्रतिक्रिया दी है। आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ टीडीपी ने पिछले साल अगस्त में लोकसभा में बिल को जेपीसी के पास भेजने का समर्थन किया था। तब टीडीपी सांसद जीएम हरीश बालयोगी ने कहा था कि हम इस बिल का समर्थन करते हैं, लेकिन अगर इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है तो हमें इसे संसदीय समिति के पास भेजने में कोई आपत्ति नहीं है।
मुस्लिम नेताओं ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात कर बिल का विरोध किया। टीडीपी के वरिष्ठ नेता नवाब जान ने कहा कि नायडू कभी भी ऐसा बिल पारित नहीं होने देंगे जिससे मुस्लिम हितों को नुकसान पहुंचे। फिर भी पार्टी ने अभी तक खुलकर विरोध या समर्थन का ऐलान नहीं किया है।
वक्फ बिल को लेकर विपक्ष इसे मुस्लिम विरोधी और संविधान के खिलाफ बता रहा है। कांग्रेस, सपा और एआईएमआईएम जैसी पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह बिल वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने और महिलाओं व पिछड़े मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए है।
जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में 14 संशोधन सुझाए हैं, जिन्हें केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब इस बिल के बजट सत्र में पेश होने की उम्मीद है। जेडीयू और टीडीपी की स्थिति इसलिए अहम है क्योंकि बीजेपी के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है। उसे अपने सहयोगी दलों के वोटों की जरूरत होगी।
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जेडीयू के 12 और टीडीपी के 16 सांसद बिल के पक्ष या विपक्ष में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। दोनों ही पार्टियां अपने-अपने राज्यों में मुस्लिम वोटों पर भी निर्भर हैं, जिसके चलते वे सतर्कता बरत रही हैं। ये पार्टियां सरकार के साथ रहेंगी या मुस्लिम भावनाओं को तरजीह देंगी, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।