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आरोपियों के घर पर अब नहीं होगा सरकार का बुलडोजर एक्शन, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार

बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तैयार करेगी जो पूरे देश में लागू होंगे। 'बुलडोजर न्याय' के खिलाफ शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि बदले की कार्रवाई के तहत बिना नोटिस के घरों को गिराया जा रहा है।

  • By शुभम पाठक
Updated On: Sep 02, 2024 | 07:20 PM

बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार (सोर्स:-सोशल मीडिया)

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नई दिल्ली: देश में बढ़ रहे बुलडोजर एक्शन को देखते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। आरोपियों को लेकर इन दिनों राज्य सरकार के द्वारा आपराधिक मामलों में शामिल व्यक्तियों के मकानों को राज्य प्रशासनों द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त किये जाने के बीच उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सवाल किया कि किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है?

बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तैयार करेगी जो पूरे देश में लागू होंगे। ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि बदले की कार्रवाई के तहत बिना नोटिस के घरों को गिराया जा रहा है।

बुलडोजर एक्शन के खिलाफ याचिका

सरकार के बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टिकरण

मिली जानकारी के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण या सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में राज्य द्वारा पहले दायर हलफनामे का हवाला दिया।

ये भी पढ़ें:-जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: कांग्रेस ने जारी की उम्मदवारों की दूसरी सूची, राजौरी से इफ्तिखार अहमद पर खेला दाव

उन्होंने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसकी अचल संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार कभी नहीं हो सकता। तुषार मेहता ने कहा कि राज्य ने कहा है कि किसी अचल संपत्ति का ध्वस्तीकरण केवल किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए और संबंधित नगरपालिका कानून या क्षेत्र के विकास प्राधिकरणों को नियंत्रित करने वाले कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार” हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार

बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा यदि आप इस स्थिति को स्वीकार करते हैं, तो हम इसे दर्ज करेंगे और सभी राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम सार्वजनिक सड़कों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देंगे। यहां तक ​​कि सार्वजनिक सड़कों पर बने मंदिरों को भी संरक्षण नहीं देंगे।

इसके साथ ही पीठ ने कहा हालांकि यह कानून का सवाल है, लेकिन ऐसा देखा गया है कि इसका उल्लंघन अधिक किया जाता है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे को इस तरह से पेश किया है जैसे कि मकानों को केवल इसलिए गिराया गया क्योंकि कुछ लोगों ने कोई अपराध किया था।

याचिकाकर्ता की अपील

चलिए अब आपको बताते है कि याचिका में क्या है। उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका को लेकर कहा कि इस विवाद को मेरे (उत्तर प्रदेश) हलफनामे से खत्म किया जा सकता है, जो मैंने काफी समय पहले दाखिल किया था। इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तैयार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न तो कोई व्यक्ति किसी खामी का फायदा उठाए और न ही अधिकारी खामियों का फायदा उठाएं।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, ”एक बयान दर्ज किया जाए कि पूरे देश में लोगों को बुलडोजर से न्याय नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि लगभग हर राज्य अब इसमें लिप्त हो रहा है और संपत्तियों को ध्वस्त कर रहा है। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने कुछ अन्य राज्यों में संपत्तियों को ध्वस्त किये जाने का उल्लेख किया। पीठ ने कहा, “हम पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश तय करेंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं में अपराध के आरोपी लोगों की अचल संपत्तियों को ध्वस्त किए जाने के बारे में शिकायतें उठाई गई हैं।

ये भी पढ़ें:-तमिलनाडु में बढ़ते धर्मांतरण पर एक्टीव हुआ संघ, चिंताजनक बताते हुए मिशनरियों पर लगाया गंभीर आरोप

उत्तर प्रदेश का हलफनामा

इसके साथ ही पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इसका खंडन किया है और राज्य द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अचल संपत्तियों को केवल कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही ध्वस्त किया जा सकता है। पीठ ने कहा, “हम अखिल भारतीय आधार पर कुछ दिशा-निर्देश तय करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का ध्यान रखा जा सके। पीठ ने पक्षों के वकीलों से अपने सुझाव देने को कहा ताकि अदालत उचित दिशा-निर्देश तैयार कर सके जो अखिल भारतीय आधार पर लागू होंगे।

Now the government will not take bulldozer action on the houses of the accused supreme court reprimanded the center

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Published On: Sep 02, 2024 | 07:20 PM

Topics:  

  • Central Government
  • Supreme Court

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