मुमताज महल की पुण्यतिथि पर विशेष (सौजन्य- सोशल मीडिया)
पुण्यतिथि पर खास : कहते हैं वक्त बदलता, अंदाज-ए-बयां बदलता है लेकिन मोहब्बत नहीं बदलती। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित ताजमहल मोहब्बत की जीतीजागती मिसाल है जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। शाहजहां उनसे बेइंतहा मोहब्बत करते थे। वास्तव में ताजमहल मुमताज बेगम का मकबरा है जो सफेद संगमरमर से बनी खूबसूरत इमारत है।
दुनिया के सातवें अजूबे में शुमार ताजमहल को लोग देश-विदेश से देखने के लिए आते हैं। मोहब्बत की निशानी कहे जाने वाले ताजमहल को शाहजहां ने अपनी पत्नी की मौत के बाद बनवाया था। मुमताज महल शाहजहां की तीसरी बेगम थीं। 17 जून 1631 को उनकी मृत्यु हो गई गई थी। ताजमहल के मुख्य गुंबद के नीचे ही उनका मकबरा स्थित है।
मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। महज 38 वर्ष की उम्र में मुमताज महल की मौत हो गई थी। अपनी 14वीं संतान को जन्म देने के करीब 30 घंटे के बाद उनकी जान चली गई थी। मुमताज की मौत के बाद शाहजहां टूट से गए थे। उनको गहरा सदमा लगा था। पत्नी की याद में उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। कई दिनों तक दरबार भी नहीं लगाया था। बाद में उन्होंने मुमताज की याद ऐसा मकबरा बनाने की ठानी कि लोग उसे मोहब्बत की मिसाल के रूप में जानें। इसके बाद ताजमहल का निर्माण हुआ।
मुमताज महल की मौत बुरहानपुर में हुई थी। वह शहंशाह के साथ एक सैन्य अभियान में साथ गई हुई थीं। इसी दौरान 14वीं संतान को जन्म देने के बाद उनकी मौत हो गई थी। उस दौरान बुहहानपुर में ही ताप्ती नदी के पास ही एक बागीचे में उनके शव को दफना दिया गया था। शाहजहां चाहते थे मुमताज का मकबरा ताजमहल में रहे। इसलिए मुमताज के शव को आगरा लाया गया। यहां उनको एक अस्थायी मकबरे रउजा-ए-मुनव्वरा में दफनाया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि ताजमहल तब तक बना नहीं थी। बाद में तीसरी और अंतिम बार 1633 में मुमताज के शव को ताजमहल के मुख्य गुंबद के नीचे दफनाया गया। यह उनका आखिरी विश्राम स्थल के रूप में विकसित हुआ जिसे देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं।
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शाहजहां पर लिखी गई किताब शाहजहांनामा में इस बात का जिक्र है कि मुमताज महल ने शहंशाह से कहा था कि उनका सपना है कि एक ऐसा महल हो जिसके चारों तरफ बाग और झील हो। उन्होंने शाहजहां से गुजारिश की थी कि मौत के बाद उन्हें ऐसे ही महल जैसे मकबरे में दफनाया जाए। इसीलिए शाहजहां ने मुमताज की मौत के बाद ताजमहल बनवाया जो अपने आप में अजूबा है। शाहजहां ने मुमताज की इच्छा का ध्यान रखते हुए ताजमहल के लिए यमुना नदी के किनारे का स्थान चुना ताकि पानी के साथ बाग और हरियाली रहे।
ताजमहल आज भी शाहजहां और मुमताज बेगग की अजब प्रेम कहानी को दर्शाता है। यह सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि सच्ची मोहब्बत की मिसाल है। ताजमहल की आकर्षक बनावट दुनिया भर में मशहूर है। यहां की हर दीवार और गुंबद शाहजहां और मुमताज की मोहब्बत की दास्तां बयां करते हैं।