सोनम वांगचुक (सोर्स- सोशल मीडिया)
Ladakh Protest: सरकार ने लद्दाख के प्रमुख कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा संचालित एक गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया है। इसका कारण एनजीओ के लिए विदेशी फंडिंग कानूनों का बार-बार उल्लंघन बताया गया है।
यह फैसला वांगचुक द्वारा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन के 24 घंटे बाद आया है। गौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित एक संगठन के खिलाफ कथित विदेशी फंडिंग उल्लंघन की जांच कर रही है।
अधिकारियों के अनुसार, जांच कुछ समय से चल रही है, लेकिन अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। वांगचुक ने बताया कि लगभग 10 दिन पहले, सीबीआई की एक टीम गृह मंत्रालय की एक शिकायत के आधार पर एफसीआरए उल्लंघनों से संबंधित एक आदेश लेकर हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) गई थी।
सोनम वांगचुक पर गैर-लाभकारी संगठन के एफसीआरए खाते में 3.35 लाख रुपये जमा करके कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। SECMOL ने स्पष्ट किया कि यह राशि एक पुरानी बस की बिक्री से प्राप्त हुई थी। संगठन ने अपना बचाव करते हुए कहा कि चूंकि बस एफसीआरए फंड से खरीदी गई थी, इसलिए बिक्री की राशि उसी खाते में वापस जमा कर दी गई। हालांकि, सरकार ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और खाद्य सुरक्षा से संबंधित “युवा जागरूकता” कार्यक्रमों के लिए एक स्वीडिश दानदाता द्वारा प्रदान किए गए लगभग 1.93 मिलियन डॉलर के फंड पर भी सवाल उठाए गए। सरकार ने कहा कि यह दान “राष्ट्रीय हित के विरुद्ध” था। दो अन्य मामलों का हवाला दिया गया जहां संगठन के एफसीआरए खातों में 19,600 और 79,200 रूपये की अनियमित जमा राशि दर्ज की गई थी।
सोनम वांगचुक ने पहले कहा था कि उनकी रिहाई की तुलना में उनकी जेल सरकार के लिए अधिक समस्याएं पैदा कर सकती है। वांगचुक ने लद्दाख में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए गृह मंत्रालय द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने को बलि का बकरा बनाने की रणनीति बताया था।
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वांगचुक ने आगे कहा कि मैं देख रहा हूं कि वे एक मामला गढ़ रहे हैं ताकि मुझे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर सकें और दो साल के लिए जेल में डाल सकें। मैं इसके लिए तैयार हूं, लेकिन सोनम वांगचुक को जेल में डालने से समस्याएं और बढ़ेंगी।