चीफ ऑफ आर्मी जनरल उपेंद्र द्विवेदी (फोटो सोर्स - सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली में आयोजित चौथे जनरल बिपिन रावत मेमोरियल लेक्चर में भारतीय सेना प्रमुख (COAS) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा में उभरती तकनीकों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में तकनीकी शक्ति एक नई मुद्रा बन गई है, जो न केवल सुरक्षा बल्कि व्यापार का भी भविष्य तय कर रही है। उनका मानना है कि डेटा अब केवल एक तकनीकी संसाधन नहीं, बल्कि व्यापार और सुरक्षा का नया पूंजीगत आधार बन चुका है।
जनरल द्विवेदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को केवल युद्ध लड़ने तक सीमित नहीं मानना चाहिए, बल्कि इसे एक व्यापक रणनीतिक क्षमता के रूप में परिभाषा से समझना चाहिए। इन्होने नागरिको को इस प्रक्रिया को समझने व शामिल होने की अपील की।
जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह कभी पारंपरिक सैन्य शक्ति को सर्वोपरि माना जाता था, आज तकनीकी कौशल और डेटा रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने इसे ‘नए युग की मुद्रा’ करार दिया। उनका मानना है कि डिजिटल युग में डेटा न केवल व्यापार की रीढ़ बन चुका है, बल्कि सुरक्षा तंत्र का भी अहम हिस्सा है।
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उन्होंने भारत की वैश्विक रणनीति पर भी अपनी राय रखी और सुझाव दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वैश्विक दक्षिण (Global South) के प्रतिनिधित्व के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने भारत की कूटनीतिक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा कि हमें विश्व स्तर पर मध्यस्थता और शांति समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय प्रवासियों की शक्ति का उपयोग मानवीय कार्यों के लिए करने, वैश्विक व्यापार मंचों में सक्रिय भागीदारी निभाने, और संसाधनों को समान रूप से वितरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। अंत में, उन्होंने कहा कि भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ ग्लोबल वॉर ऑन टेरर (GWOT) में सबसे आगे रही है, खासकर जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्वी राज्यों और वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीय सेना देश के लक्ष्यों और वैश्विक शांति प्रयासों के साथ पूरी तरह से जुड़ी हुई है और हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।