मालेगांव ब्लास्ट (Image- Social Media)
Malegaon Blast Case Verdict: NIA की स्पेशल कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया। 29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए थे। यह धमाके रमजान के महीने में किए गए थे।
एक धमाका मस्जिद के पास, जबकि दूसरा एक बाजार में किया गया था। इसमे 6 लोगों की जान चली गई थी और लगभग 100 लोग घायल हुए थे। हमले में पहले किसी आतंकवादी संगठन के शामिल होने की खबरें सामने आईं, लेकिन एक बाइक मिलने से पूरी कहानी ही पलट गई। इस मामले में पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित समेत कई नाम सामने आए थे। जानिए पिछले 17 साल पहले हुए इस मामले की पूरी कहानी क्या है?
मालेगांव विस्फोट (Image- Social Media)
बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीकू चौक पर एक दोपहिया वाहन में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई थी। इस दौरान 101 लोग घायल बी हुए थे। मृतकों में फरहीन उर्फ शगुफ्ता शेख लियाकत, शेख रफीक मुस्तफा, शेख मुश्ताक यूसुफ, इरफान जियाउल्लाह खान, सैयद अजहर सैयद निसार तथा हारून शाह मोहम्मद शाह शामिल थे।
इस मामले में पहले एफआईआर स्थानीय पुलिस ने दर्ज की, लेकिन बाद में ये मामला केस एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के हाथ में सौंप दिया गया। ATS का कहना था कि कि ‘अभिनव भारत’ नामक संगठन 2003 से एक संगठित अपराध गिरोह की तरह काम कर रहा था। इस मामले में ATS ने अपनी चार्जशीट में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित, उपाध्याय सहित कुल 16 लोगों को आरोपी बनाया था।
पुलिस की गिरफ्त में प्रज्ञा सिंह ठाकुर (File Photo)
इस केस में एटीएस को सबसे पहला सुराग एक LML फ्रीडम मोटरसाइकिल से मिला, जिसका नंबर (MH-15-P-4572) नकली था तथा इसके इंजन-चेसिस नंबर से भी छेड़छाड़ की गई थी। फॉरेंसिक जांच के बाद इसका असली नंबर GJ-05-BR-1920 निकला, जो की प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर रजिस्टर्ड था। हालांकि, आज कोर्ट ने कहा कि ये साबित नहीं हो पाया कि ये बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी।
भगवा आतंकवाद का नाम पहली बार साल 2010 में तत्कालिन गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बयान के बाद आया था। उन्होंने कहा था कि “भारत में युवकों और युवतियों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिशों में कोई कमी नहीं आई है। हाल ही में भगवा आतंकवाद की एक ऐसी परिघटना का खुलासा हुआ है जिसकी अतीत में हुए कई बम विस्फोटों में भूमिका रही है। मेरी आपको सलाह है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और केंद्र तथा राज्य, दोनों स्तरों पर आतंकवाद-रोधी अपनी क्षमता का निर्माण जारी रखना चाहिए।”
यह भी पढ़ें- 17 साल बाद मालेगांव ब्लास्ट केस में आया फैसला, सभी 7 आरोपी बरी
इस मामले में 23 अक्टूबर 2008 को प्रज्ञा ठाकुर, शिवनारायण कालसांगरा और श्याम भावरलाल शाउ को अरेस्ट किया गया था। नवंबर 2008 तक कुल 11 गिरफ्तारियां हो चुकी थीं और MCOCA (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) भी लगाया गया था।