(कॉन्सेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आज बुधवार, (2 अप्रैल) को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 लोकसभा में पेश करने जा रही है। इसके बाद सदन में विधेयक पर चर्चा की जाएगी। उम्मीद है कि चर्चा के बाद बुधवार को ही सदन द्वारा विधेयक को पारित कर दिया जाएगा। केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू विधेयक को सदन में पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि हम विधेयक पर चर्चा चाहते हैं। हर राजनीतिक दल को अपनी बात रखने का अधिकार है और देश जानना चाहता है कि विधेयक पर किस राजनीतिक दल का क्या रुख है।
आपको बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। हालांकि, सदन में विपक्ष के विरोध के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। जेपीसी के सुझावों और संशोधनों को शामिल करते हुए सरकार अब यह विधेयक ला रही है। इसका उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।
सरकार का तर्क है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए यह विधेयक लाया गया है। सरकार का कहना है कि वक्फ कानून में संशोधन से वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार होगा। वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के जरिये सरकार वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना चाहती है। इसमें वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों के लिए प्रतिनिधित्व का प्रस्ताव किया गया है। बोहरा समुदाय और आगा खान समुदाय के लिए अलग बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव है। यह विधेयक जिला कलेक्टरों को वक्फ संपत्ति विवादों पर अधिकार देता है और वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए 40 संशोधन पेश करता है।
सरकार ने वक्फ अधिनियम में बड़े संशोधन पेश किए हैं, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को आधुनिक और सुव्यवस्थित बनाना है। सबसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों में से एक है कानून का नाम बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट 1995 करना है। बिल में प्रस्तावित संशोधन के तहत केवल वैध स्वामित्व वाले व्यक्ति ही वक्फ बना सकते हैं, जिससे अस्पष्ट संपत्ति दावों से उत्पन्न होने वाले विवादों को रोका जा सके। वक्फ घोषित की गई संपत्तियों में, चाहे अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में, सरकारी भूमि शामिल नहीं हो सकती। वक्फ और सरकारी संपत्तियों के बीच भूमि विवादों को निपटाने का अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल से जिला कलेक्टरों के पास चला जाएगा।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 वक्फ बोर्ड संचालन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके वक्फ अधिनियम 1995 को संशोधित करने का प्रयास करता है. विधेयक का एक प्रमुख प्रावधान इन निकायों में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करना है। अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किए जाने के बाद विधेयक को विस्तृत जांच के लिए जेपीसी को भेजा गया था, जिसमें एनडीए सहयोगी टीडीपी और जेडीयू का समर्थन भी शामिल था।
विधेयक में वक्फ द्वारा यूज के कंसेप्ट को खत्म करने का प्रावधान है, जो धार्मिक उद्देश्यों के लिए लगातार उपयोग की जाने वाली मस्जिदों या कब्रिस्तान जैसी संपत्तियों को बिना किसी दस्तावेज के भी वक्फ के रूप में मान्यता देता है। संशोधन के बाद आधिकारिक वक्फ डीड (वक्फनामा) की जरूरत होगी। यह संभावित रूप से उन ऐतिहासिक स्थलों को प्रभावित कर सकता है, जिनके औपचारिक रिकॉर्ड नहीं हैं।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्य भी हो सकते हैं। राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सीईओ हो सकते हैं। साथ ही प्रत्येक राज्य बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होने का भी प्रस्ताव है। वक्फ की निगरानी शुरू करके और कलेक्टरों को सशक्त बनाकर, सरकार का मकसद वक्फ प्रबंधन को अधिक जवाबदेह बनाना है। आलोचकों को डर है कि यह बिल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म कर देगा और मुस्लिम समुदाय को हाशिए पर डाल देगा। साथ ही धार्मिक और सामाजिक कल्याण के लिए बनाई गई वक्फ संपत्तियां नए ढांचे के तहत अपना इच्छित उद्देश्य खो सकती हैं।
विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ देशभर के मुस्लिम संगठन विधेयक के खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे संविधान पर हमला और मुसलमानों को निशाना बनाने वाला कदम बताया है। मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह बिल वक्फ के खिलाफ है, क्योंकि वक्फ मुसलमानों का धार्मिक मामला है। इसलिए इसमें किसी भी तरह का दखल स्वीकार नहीं है।
तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को वापस लेने की गुजारिश की है। प्रस्ताव में कहा गया है कि ये मुसलमानों से संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत उनकी भूमि, संपत्ति और धार्मिक अधिकार छीन लेगा।
देश की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इस्लाम में ‘वक्फ’ धार्मिक या धर्मार्थ इस्तेमाल के लिए संपत्तियों को नामित करता है। इसका प्रबंधन ‘मुतवल्ली’ द्वारा किया जाता है, जो इन संपत्तियों की देखरेख और प्रबंधन करते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वक्फ बोर्ड भारत में नौ लाख चालीस हजार एकड़ में फैली आठ लाख सत्तर हजार संपत्तियों की देखरेख करते हैं, जिनकी कीमत 1.20 लाख करोड़ रुपये है। विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 40 को हटाने का प्रस्ताव है, जो बोर्डों को वक्फ संपत्ति की स्थिति निर्धारित करने का अधिकार देता है।