चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ कोयंबटूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को अनुमति दे दी है। इससे पहले तमिलनाडु प्रशसन ने कोयंबटूर में 18 मार्च को होने वाले पीएम मोदी के रोड शो को अनुमति नहीं दी थी। जिला पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा जोखिमों सहित विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद भाजपा ने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया। जिस पर तत्काल सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पीएम मोदी के रोड शो को दी इजाजत दे दी।
न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने यह निर्देश कोयंबटूर के भाजपा जिला अध्यक्ष जे रमेश कुमार द्वारा दायर याचिका पर दिया। याचिका में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी), आर एस पुरम रेंज के एक आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें भाजपा के कार्यक्रम को अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने ‘‘न्याय” दिया है। पार्टी ने कहा कि 18 मार्च का रोडशो ‘ऐतिहासिक’ होगा। एसीपी के आदेश को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति वेंकटेश ने उन्हें उचित शर्तों के साथ अनुमति देने और आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। शर्तों में मार्ग निर्धारित होगा जहां रोड शो होगा और तय की जाने वाली दूरी भी शामिल होगी।
https://twitter.com/PTI_News/status/1768610343310573655
न्यायाधीश ने कहा कि एक शर्त यह भी होगी कि आयोजन के दौरान आयोजकों को फ्लेक्स बोर्ड लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता एसीपी द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन करेगा। न्यायाधीश ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि रोड शो बिना किसी कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा किए या प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता पैदा किए बिना सुचारू तरीके से हो।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने अपने आदेश में कहा कि प्रधानमंत्री लोगों से मिलना चाहते हैं और उन्हें विभिन्न कल्याणकारी उपायों/योजनाओं के बारे में जागरुक करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि रोड शो चार किलोमीटर का निर्धारित है और कम समय में प्रधानमंत्री ज्यादा से ज्यादा लोगों से संवाद करना चाहते हैं, इसलिए जनता से मिलने के वास्ते रोड शो को माध्यम के तौर पर चुना गया है। न्यायाधीश ने कहा कि एसीपी द्वारा अपनाया गया रुख प्रथम दृष्टया ‘निराधार’ है कि किसी को भी रोड शो के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि कई मौकों पर नेताओं को लोगों से मिलने के लिए रोड शो की इजाजत दी गई है। न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए, यह अनुमति खारिज करने का आधार नहीं हो सकता।
अदालत ने कहा कि किसी भी नेता के लिए लोगों के साथ संवाद करने और विशेष रूप से प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की सभाओं से निश्चित रूप से आम जनता की मुक्त आवाजाही में कुछ बाधा पैदा हो सकती है। अदालत ने कहा कि हालांकि, यह अनुमति देने से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता तथा पुलिस को आम जनता और वाहनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने होंगे। न्यायाधीश ने कहा कि इन नेताओं को लोगों द्वारा चुना गया है, इसलिए, उन्हें उन लोगों से मिलने से नहीं रोका जाना चाहिए, जिन्होंने उन्हें चुना है।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने कहा कि रोड शो शाम पांच बजे के बाद आयोजित होने वाला है, इसलिए, परीक्षा देने वाले छात्रों को कोई परेशानी नहीं होगी। न्यायाधीश ने कहा कि जहां तक सुरक्षा संबंधी सवाल है, प्रधानमंत्री हर समय विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) के घेरे में रहते हैं और वे प्रधानमंत्री की निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने की व्यवस्था करते हैं। रमेश कुमार ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने कोयंबटूर के मेट्टुपालयम में चार किमी का रोड शो करने की अनुमति के लिए 14 मार्च को पुलिस के पास आवेदन किया था।
उन्होंने कहा कि रोड शो का उद्देश्य कोयंबटूर के लोगों को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना है। याचिका में कहा गया कि रोड शो के दौरान विभिन्न योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का फायदा उठाने और तमिलनाडु में हालिया समय में सामने आईं मादक द्रव्य की घटनाओं के मद्देनजर नशीले पदार्थों से लोगों को दूर रहने के लिए जागरूक करना है। कुमार ने कहा कि उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इस तरह के रोड शो के आयोजन की स्थिति में कोयंबटूर में कानून और व्यवस्था की दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं और सुरक्षा संबंधी जोखिम पैदा होगा।
उच्च न्यायालय के आदेश पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा, ‘‘हमें बेहद खुशी है कि उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार और कोयंबटूर पुलिस पर सख्ती की है।” अन्नामलाई ने आरोप लगाया कि ‘‘द्रमुक ने अनुमति नहीं देने के लिए पुलिस पर दबाव डाला था।”
(भाषा इनपुट के साथ)