नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, फोटो: सोशल मीडिया
Parliament Monsoon Session: नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति से पूछा कि यह सदन आप चला रहे हैं या गृहमंत्री अमित शाह चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सदन के वेल में सीआईएसएफ सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी से विपक्ष को कड़ी आपत्ति है।
खड़गे नेआरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों को संसद में जनहित के मुद्दे उठाने से रोका जा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप सीआईएसएफ को अंदर लाते हैं। हमारे संसद के स्टाफ यहां सक्षम हैं, लेकिन आप पुलिस और मिलिट्री को लाकर यहां हाउस चलाना चाहते हैं।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इन आरोपों का खंडन किया। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू कहा, “नेता प्रतिपक्ष ने सदन में मिलिटरी व पुलिस की बात कही, लेकिन यह बात असत्य है। सदन में केवल मार्शल ही होते हैं और मार्शल ही सदन में आए थे।” उन्होंने उप सभापति पूछा कि ऐसे झूठे तथ्यों को दिए जाने पर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए?
वहीं नेता सदन और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सदन में केवल मार्शल होते हैं और यहां मार्शल ही हैं। नड्डा का कहना था कि विपक्ष में बैठे सांसदों को अपना विरोध भी जताना नहीं आता। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग इस तरह से किया जाना चाहिए जिससे कि किसी दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो।
दरअसल इस पूरे विषय पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति हरिवंश को एक लेटर लिखा था। अपने लेटर में उन्होंने लिखा, “हम इस बात से हैरान और स्तब्ध हैं कि कैसे सीआईएसएफ कर्मियों को सदन के वेल में दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। वो भी तब जब विपक्ष के सांसद अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर रहे होते हैं।” विपक्ष का आरोप है कि राज्यसभा के सभापति के अचानक और अभूतपूर्व इस्तीफे के बाद राज्यसभा के कक्ष पर सीआईएसएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं।
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आपको बता दें कि सीआईएसएफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल है। ये केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है। खरगे ने उपसभापति हरिवंश को लिखे अपने पत्र में कहा था कि सदन में सीआईएसएफ जवानों की तैनाती आपत्तिजनक है। वो इसकी निंदा करते हैं। मंगलवार को राज्यसभा में उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि भविष्य में सीआईएसएफ के जवान सदन वेल में नहीं आएंगे। खड़गे ने मंगलवार को सदन में यह पत्र पढ़ा और राज्यसभा में सांसदों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वेल में सीआईएसएफ कर्मियों को बुलाए जाने का मुद्दा उठाया।