(फोटो सोर्स एएनआई)
तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार ने वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों को सहायता न मिलने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राज्य सरकार ने रविवार को कहा कि उसे केंद्र की ओर से राहत और पुनर्वास के लिए राज्य को आवंटित की जाने वाली राशि के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। बीते 30 जुलाई को वायनाड में भीषण भूस्खलन हुआ था जिससे यहां कई गांवों का नामोनिशान मिट गया था और लगभग 200 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
सत्तारूढ़ वाम मोर्चा सरकार में राजस्व मंत्री के. राजन ने आगे कहा कि राज्य और केंद्र सरकार कोई दुश्मन देश नहीं हैं, बल्कि एक ही संविधान का हिस्सा हैं और केंद्र से अनुरोध किया गया है कि वह आपदा के समय राज्य की मदद करे। मंत्री ने बताया कि केरल सरकार की ओर से भूस्खलन के बारे में सभी जानकारी दे दी गई है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई सूचना नहीं दी है कि इन आंकड़ों में कोई गलती थी या नहीं।
रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि आपदा में हुए नुकसान के आंकड़े शुरू में राज्य को पेश करने थे जो उन्होंने बिना किसी चूक के किया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक उसकी ओर से आपदा पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के लिए राज्य को आवंटित की जाने वाली राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
मंत्री ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब किसी राज्य में आपदा आती है तो केंद्र को उसके प्रति एक अभिभावक की तरह व्यवहार करना चाहिए। हमारा अनुरोध है कि केंद्र सरकार को भी उसी तरह व्यवहार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतंत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) से भी आग्रह किया कि वह अपने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर वायनाड के भूस्खलन पीड़ितों के लिए जरूरी केंद्रीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हों।
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बता दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और कांग्रेस नीत विपक्षी यूडीएफ, दोनों ही केंद्र सरकार से भूस्खलन आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और राहत एवं पुनर्वास के लिए सहायता देने की मांग कर रहे हैं। वायनाड में 30 जुलाई को भीषण आपदा आई थी जिसमें यहां भारी तबाही हुई थी। वायनाड के अट्टामाला के कुछ हिस्सों के साथ-साथ यहां के तीन गांवों पुंचिरीमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई में भीषण तबाही मची थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस आपदा में 231 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 47 लोग अभी भी लापता हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)