वन नेशन-वन इलेक्शन पर केरल की 'ना'
तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने आज सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अपने फैसले को वापस ले क्योंकि यह सरासर ‘अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक’ है।
जानकारी दें कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव की अनुशंसा रामनाथ कोविंद पैनल द्वारा की गई है। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की ओर से राज्य के विधायी कार्य मंत्री एम बी राजेश ने पेश किया।
आज प्रस्ताव पेश करते हुए राजेश ने कहा कि, यह प्रस्ताव देश की संघीय प्रणाली को कमजोर करेगा और भारत के संसदीय लोकतंत्र की विविधतापूर्ण प्रकृति को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि इससे देश में विभिन्न राज्य विधानसभाओं और स्थानीय स्वशासी निकायों के कार्यकाल में भी कटौती का मार्ग प्रशस्त होगा।
यहां पढ़ें – रतन टाटा के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे गृहमंत्री शाह
इसके साथ ही राजेश ने कहा कि, यह निर्णय जनादेश के उल्लंघन समतुल्य, उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए एक चुनौती, चुनाव कराने की राज्य की शक्ति को हड़पने और देश की संघीय व्यवस्था पर कब्जा करने जैसा है। उन्होंने दलील दी कि समिति लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को एक खर्च के रूप में देख रही है, लेकिन ऐसा करना ‘अलोकतांत्रिक’ है। यह ‘‘निंदनीय कदम” है क्योंकि चुनाव के खर्च कम करने तथा प्रशासन को प्रभावी बनाने के लिए और भी कई सरल तरीके हैं।
यहां पढ़ें – जाने कौन हैं शांतनु नायडू जो रहे रतन टाटा के बेस्ट फ्रेंड
जानकारी दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर पहले ही रामनाथ कोविंद पैनल की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। इसका खास मकसद लोकसभा के साथ सभी राज्यों के विधानसभा और स्थानीय निकायों का चुनाव कराना भी है। लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है। हालांकि इसे लागू करने के लिए सरकार को एक नहीं, बल्कि दो-दो संविधान संशोधन विधेयकों को पास कराना होगा जिसके तहत संविधान में कई बड़े बदलाव भी करने पड़ेंगे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)