कर्नाटक के मंत्री के बयान से बवाल
बेंगलुरू: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के दिनेश गुंडू राव ने बेंगलुरू में एक सनसनीखेज बयान दिया है। दरअसल उनकी मानें तो सावरकर मांस खाते थे और वे गोहत्या के खिलाफ भी नहीं थे। उनका कहना था की सावरकर ही कट्टरपंथी थे और जिन्ना नहीं। राव बीते 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी पर लिखी एक किताब के लोकार्पण कार्यक्रम में य़ह बात बोल रहे थे।
बीते 2 अक्टूबर को राव ने कहा, ‘‘सावरकर एक चितपावन ब्राह्मण थे और वह मांस भी खाते थे। वह खुद मांसाहारी थे तथा गौ वध के खिलाफ नहीं थे। एक तरह से वे धुनिक थे।कुछ लोग कहते हैं कि वह बीफ भी खाते थे। एक ब्राह्मण के रूप में वह मांस खाते थे और मांसाहार का खुलेआम समर्थन करते थे। ”
राव की मानें तो महात्मा गांधी जरुर शाकाहारी थे और हिंदू धर्म में उनकी दृढ़ आस्था थी। वे बोले कि, गांधी एक शाकाहारी व्यक्ति थे और हिंदुत्व के प्रति उनकी दृढ़ आस्था थी, ‘‘लेकिन उनके कृत्य अलग थे। वह एक लोकतांत्रिक व्यक्ति थे।” वहीं दिनेश गुंडू राव का मानें तो पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना भी चरमपंथी थे।
#WATCH | Bengaluru: At the release of Kannada version of “Gandhi’s Assassin: The Making of Nathuram Godse and His Idea of India” on 2nd Oct, Karnataka Minister Dinesh Gundu Rao says, “Savarkar was not against cow slaughter. He was a Chitpavan Brahmin but he was a non-veg eater.… pic.twitter.com/y6o5RoCZll
— ANI (@ANI) October 3, 2024
उन्होंने कहा कि, ‘‘पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना कट्टर इस्लामी व्यक्ति थे। वह शराब पीते थे और कहा जाता है कि वह सूअर का मांस भी खाते थे, लेकिन द्विराष्ट्र सिद्धांत और राजनीति के बाद वह प्रतिष्ठित मुस्लिम नेता बन गए। लेकिन जिन्ना रूढ़िवादी नहीं थे, बल्कि सावरकर रूढ़िवादी थे।”
वहीं राव ने यह भी कहा कि उन्होंने गांधी और सावरकर के बीच अंतर इस बात पर प्रकाश डालने के लिए बताया कि ‘‘इस देश में कट्टरवाद का मुकाबला कैसे किया जाए, कैसे कट्टरवाद हिंसा को जन्म देता है और महात्मा गांधी के दर्शन का उपयोग करके इससे कैसे निपटा जा सकता है। यदि आप (नाथूराम) गोडसे के दर्शन पर विचार करें तो उसे गांधी की हत्या करने का कोई पछतावा नहीं था क्योंकि वह सावरकर के दर्शन में विश्वास करता था। असल में वह सोचता था कि उसने देश के लिए एक बहुत महान काम किया था। कट्टरपंथ के साथ यही समस्या है। आप जो कुछ भी करते हैं, आप सोचते हैं कि यह उस उद्देश्य के लिए अच्छा है जिसके लिए आप लड़ रहे हैं।”
दिनेश गुंडू राव के इस बयान पर खुब बवाल मचा है। इस बाबत सावरकर के पोते रंजित सावरकर ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, “सावरकर को बार-बार बदनाम करने की कांग्रेस की रणनीति है, खासकर अब जब चुनाव आ रहे हैं। मैं उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराऊंगा।” वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कई मुद्दों पर सावरकर के विचार अलग होंगे, लेकिन कांग्रेस नेताओं को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के अपमान का कोई अधिकार नहीं है।
इस बाबत कर्नाटक के मंत्री दिनेश गुंडू राव के विनायक दामोदर सावरकर पर दिए गए बयान पर भाजपा नेता सी.टी. रवि ने कहा, “…वे(कांग्रेस) गौहत्या और गौमांस का समर्थन और प्रचार करना चाहते हैं। क्या कांग्रेस के लोग भूल गए कि गांधी जी ने क्या कहा था? उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें एक दिन के लिए सत्ता मिल गई तो वह गौहत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देंगे… मूलभूतवाद और राष्ट्रवाद में बहुत अंतर है। मूलभूतवाद के कारण ही भारत का बंटवारा हुआ… आज कांग्रेस मूलभूतवाद का समर्थन कर रही है, क्या वे भारत के अंदर पाकिस्तान बनाना चाहते हैं? भारत को राष्ट्रवाद की जरूरत है…”
इधर मामले पर शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा, “एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने स्वतंत्र वीर सावरकर के खिलाफ बहुत ही निम्न स्तर की टिप्पणी की है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी पूरी तरह से निंदनीय है, यह उनका अपमान है… सावरकर जी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी… मैं कांग्रेस को बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र की जनता सावरकर जी से बहुत प्यार करती है और अगर वे बार-बार उनका इसी तरह अपमान करते रहे तो एक दिन महाराष्ट्र की जनता पूरी कांग्रेस पार्टी को जमीन के अंदर गाड़ देगी, इसलिए कांग्रेस पार्टी सावरकर का अपमान करना बंद करे।”
वहीं शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि, “मुझे लगता है कि इस समय ये बातें कहना कोई मतलब नहीं रखता। सभी महान लोगों ने वही किया जो उन्हें करना चाहिए था। वे हमें देख रहे होंगे कि हम इस देश के लिए क्या कर रहे हैं और हम कौन सा रास्ता अपना रहे हैं। अतीत में जीने के बजाय वर्तमान में जीना और भविष्य की ओर देखना और हम इसे कैसे बेहतर बना सकते हैं, इस पर विचार करना बेहतर है।” (एजेंसी इनपुट के साथ)