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नवभारत डिजिटल डेस्क : दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किले लगातार बढ़ती दिख रही है। उन पर इल्जाम है कि उनके सरकारी घर से बहुत सारा कैश मिला है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बीते 14 मार्च 2025 को उनके घर के स्टोर रूम में आग लगी थी, और वहां से ढेर सारे पैसे मिलने की बात सामने आई थी। अभी इस मामले की जांच जारी रही है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन जजों की एक कमिटी बनाई है, जो इसकी जांच कर रही है। 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट और यशवंत वर्मा का पक्ष शामिल है। अभी के लिए चीफ जस्टिस ने फैसला किया है कि यशवंत वर्मा को कुछ समय तक कोई कोर्ट का काम नहीं दिया जाएगा।
अब सवाल यह है कि हाई कोर्ट के जज के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है? भारत में हाई कोर्ट का जज बनना आसान नहीं है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सीनियर जजों और सरकार की मंजूरी चाहिए होती है। जजों की सैलरी 2.25 लाख रुपये महीना होती है, इसके अलावा घर, गाड़ी, पेट्रोल, बिजली-पानी और नौकरों के लिए भी सुविधाएं मिलती हैं। ये सब इसलिए है ताकि जज बिना डर और भ्रष्टाचार के अपना काम कर सकें।
जजों को हटाने का सिर्फ एक तरीका है- महाभियोग। इसके लिए लोकसभा के 100 या राज्यसभा के 50 सांसदों को प्रस्ताव देना होता है। फिर एक कमिटी जांच करती है। अगर कमिटी जज को दोषी पाती है, तो संसद में वोटिंग होती है। दोनों सदनों में खास बहुमत से पास होने के बाद राष्ट्रपति जज को हटा सकते हैं। लेकिन आज तक भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। कुछ जजों के खिलाफ कोशिश हुई, पर कामयाबी हाथ नहीं सग पाई।
महाभियोग के अलावा, भ्रष्टाचार के मामले में भी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन पुलिस अपने आप जज के खिलाफ केस नहीं दर्ज कर सकती। पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की सलाह लेनी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने 1991 में ये नियम बनाया था।
इसके अलावा, 1999 में एक ‘इन-हाउस’ जांच का तरीका शुरू हुआ। इसमें पहले चीफ जस्टिस शिकायत की जांच करते हैं। अगर शिकायत गलत लगे, तो मामला खत्म। अगर सही लगे, तो जज से जवाब मांगा जाता है। फिर भी शक हो, तो तीन जजों की कमिटी बनती है। ये कमिटी जज को बेकसूर ठहरा सकती है या इस्तीफा मांग सकती है। इस्तीफा न देने पर महाभियोग की सलाह दी जा सकती है।
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पहले भी कुछ जजों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एसएन शुक्ला और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की जज निर्मल यादव के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया। दिल्ली हाई कोर्ट के जज शमित मुखर्जी को 2003 में गिरफ्तार भी किया गया था। यशवंत वर्मा का मामला अभी जांच में है, आगे क्या होगा, ये कमिटी की रिपोर्ट पर निर्भर करने वाला है।