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The Delhi High Court Reprimanded The ED: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय ( ED) की खिंचाई करते हुए 641 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में यह स्पष्ट रूप से प्रतिवादी विभाग द्वारा मनमाने ढंग से काम करने का मामला है।
जस्टिस अमित महाजन ने फर्जी निवेश योजनाओं और झूठे नौकरी के वादों के जरिए कई लोगों को कथित तौर पर ठगने के मामले में आरोपी विपिन यादव, अजय और राकेश करवा को समानता के आधार पर जमानत दे दी। जज ने अपने आदेश में कहा कि, ईडी ने ऐसे आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया, जिसकी भूमिका आवेदकों से अधिक गंभीर प्रतीत होती है। यहां तक कि खच्चर खातों की व्यवस्था करने में मदद करने वाले व्यक्ति को भी अभियुक्त नहीं बनाया गया।
ऐसे में प्रतिवादी विभाग द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण प्रथम दृष्टया स्पष्ट रूप से मनमाना प्रतीत होता है और आवेदकों को समानता का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता। सीबीआई द्वारा की जा रही पूर्वनिर्धारित अपराध की जांच के आधार पर ईडी द्वारा वर्तमान मामला दर्ज किया गया था। वर्तमान मामला अभी भी संज्ञान के स्तर पर है, भले ही अजय और विपिन को 29 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था और राकेश को 29 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों के खिलाफ साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 16 शिकायतें प्राप्त हुईं थी।
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जज ने कहा कि यह तर्क दिया गया है कि पहली अभियोजन शिकायत में 76 गवाह और पूरक अभियोजन शिकायत में 35 गवाह हैं। इससे यह बहुत कम संभावना है कि मुकदमा जल्दी खत्म हो पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया आवेदकों की भूमिका मुख्य आरोपी रोहित अग्रवाल की भूमिका से अधिक गंभीर नहीं कही जा सकती, क्योंकि ईडी का कहना है कि अधिकांश धनराशि उन्हीं से आई थी। सीबीआई के अनुसार, आरोपी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 12 बैंक खातों का प्रबंधन, संचालन और नियंत्रण किया। उनके विरुद्ध राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 16 शिकायतें प्राप्त हुईं।