भाजपा सांसद जगदंबिका पाल (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के 31 सदस्यों में से एक भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदंबिका पाल को जेपीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी संसद के अगले सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। संसद सचिवालय के अधिकारियों के मुताबिक जगदंबिका पाल को अध्यक्ष बनाने का नोटिफिकेशन जल्द ही जारी कर दिया जाएगा।
पाल उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट से सांसद हैं। वह लगातार चौथी बार सांसद हैं। पाल 2009 में पहली बार कांग्रेस से सांसद चुने गए थे, लेकिन 2014 में भाजपा में शामिल हो गए और तीसरी बार सांसद बने। इससे पहले वह कांग्रेस (तिवारी) और लोकहित कांग्रेस में थे।
जगदंबिका पाल 1 दिन के लिए मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, हालांकि हाईकोर्ट उन्हें सीएम नहीं मानता। इन सबके बीच लोगों में जिज्ञासा है कि जगदंबिका पाल को जेपीसी का प्रमुख क्यों बनाया गया? माना जाता है कि पाल की सभी दलों में स्वीकार्यता है। इसके अलावा उनके लंबे संसदीय कार्यकाल और वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय में भी उनकी अच्छी पहुंच मानी जाती है। ऐसे में पाल को संसद ही नहीं, बल्कि सड़क पर भी स्वीकार्य नेता माना जा रहा है।
2002 में यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पाल 1993 से 2007 तक लगातार तीन बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे। जेपीसी के सदस्य कौन हैं? लोकसभा से जेपीसी में कांग्रेस के सदस्यों में गौरव गोगोई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। मोहिबुल्लाह (समाजवादी पार्टी); कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस); ए राजा (डीएमके); लवू श्रीकृष्ण देवरायलू (तेलुगु देशम पार्टी); दिलेश्वर कामैत (जेडीयू); अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी); सुरेश म्हात्रे (एनसीपी-शरद पवार); नरेश म्हास्के (शिवसेना); अरुण भारती (लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास); और असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) पैनल के सदस्य हैं।
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राज्यसभा में भाजपा और विपक्ष के चार-चार सदस्य हैं, जबकि एक मनोनीत सदस्य है। राज्यसभा से शामिल सदस्यों में बृज लाल (भाजपा), मेधा विश्राम कुलकर्णी (भाजपा), गुलाम अली (भाजपा), राधा मोहन दास अग्रवाल (भाजपा); सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस); मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस); वी विजयसाई रेड्डी (वाईएसआरसीपी); एम मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके); संजय सिंह (आप) और मनोनीत सदस्य धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े।
विधेयक के अनुसार, वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रस्ताव है। विधेयक में वक्फ अधिनियम-1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम-1995’ करने का भी प्रावधान है। विधेयक में धारा 40 को हटाने का प्रावधान है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।