सांकेतिक तस्वीर (AI जनरेटेड)
India-Russia R-37M missile: इंडियन एयर फोर्स की लड़ाकू क्षमता में बड़ा इजाफा होने वाला है। भारत और रूस के बीच एक बड़ी डिफेंस डील फाइनल होने वाली है। इस डील के तहत भारत लगभग 300 R-37M मिसाइलें खरीदने की तैयारी कर रहा है। ये बहुत लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलें हैं, जिन्हें बियॉन्ड विज़ुअल रेंज कैटेगरी में सबसे खतरनाक मिसाइलें माना जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, R-37M मिसाइल की मैक्सिमम रेंज 300 km से ज़्यादा है, जो इसे दुनिया में कहीं भी ऑपरेशनल सर्विस में सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल बनाती है। इस मिसाइल को हासिल करना इंडियन एयर फोर्स के लिए एक स्ट्रेटेजिक ज़रूरत है। R-37M को तेज़ और ऊंची उड़ान भरने वाले Su-30MKI प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।
यह मिसाइल दुश्मन के हाई-वैल्यू एयर एसेट्स जैसे AWACS (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम), टैंकरों और स्टैंड-ऑफ जैमर्स को इंडियन एयरस्पेस में घुसने से बहुत पहले ही टारगेट कर सकती है। इस मिसाइल के लिए Su-30MKI में बड़े मॉडिफिकेशन की ज़रूरत नहीं होगी। यह मिसाइल पहले से ही रूसी Su-30SM पर इस्तेमाल हो रही है, इसलिए IAF फ्लीट को इसका फायदा उठाने के लिए N011M बार्स रडार और मिशन कंप्यूटर में सिर्फ एक छोटा सा सॉफ़्टवेयर अपडेट करना होगा।
IAF को R-37M की तुरंत ज़रूरत मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर से हुई, जहां IAF Su-30MKI जेट्स की संख्या पाकिस्तानी एयर फोर्स के J-10CE फाइटर्स से कम थी, जिनके पास PL-15 मिसाइलें (180-200 km रेंज) थीं। R-37M इस समीकरण को पूरी तरह से बदल देगा, जिससे भारतीय फ़्लैंकर्स को 250-300 km की रेंज पर “पहले देखो, पहले फ़ायर करो और पहले मारो” का फैसला लेने का फायदा मिलेगा।
R-37M की 300+ km रेंज AWACS जैसे दुश्मन के सपोर्ट एयरक्राफ्ट को भारत की सीमाओं से बहुत दूर रहने पर मजबूर कर देगी, जिससे उनकी सपोर्ट क्षमताएं कम हो जाएंगी। दो R-37M मिसाइलों वाला एक Su-30MKI जेट दुश्मन के AWACS और टैंकरों से पूरे सेक्टर को ब्लॉक कर सकता है, जिससे दुश्मन के हमले के प्लान सीधे तौर पर खराब हो जाते हैं।
चूंकि यह मिसाइल पहले से ही रूसी Su-30SM पर इस्तेमाल हो रही है, इसलिए भारतीय Su-30MKI फ्लीट में इसका इंटीग्रेशन तेज़ और सीधा होगा, जिससे यह डिलीवरी के 12 से 18 महीनों के अंदर ऑपरेशनल हो जाएगी। IDRW ने एक IAF अधिकारी के हवाले से कहा कि स्वदेशी एस्ट्रा Mk-2 (160+ km) को स्क्वाड्रन सर्विस में आने में अभी भी दो साल लगेंगे, और राफेल पर मेटियोर के इंटीग्रेशन में भी देरी हो रही है।
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इस लिहाज से R-37M अभी अकेली ऐसी मिसाइल है जो 250-300 km की रेंज में हाई-वैल्यू एयर एसेट्स को न्यूट्रलाइज़ कर सकती है। इस तरह यह मिसाइल तब तक एक टेम्पररी कैपेबिलिटी के तौर पर काम करेगी जब तक कि भारत की स्वदेशी SFDR-बेस्ड एस्ट्रा Mk-3 (300+ km क्लास) मिसाइल 2030-32 के आसपास प्रोडक्शन में नहीं आ जाती।