नितिन गडकरी, फोटो: सोशल मीडिया
सड़क दुर्घटना में हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इसके साथ ही कई दुर्घटनाएं ऐसी होती है जिनमें गहरी चोट लगने के कारण लोग जीवन भर के लिए परेशान हो जाते हैं। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसे आंकड़ों पर से पर्दा उठाया है। नितिन गडकरी ने बताया कि साल 2025 के पहले छह महीनों में देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं में 26,770 लोगों की जान गई है। इसके अलावा 2024 के दौरान ऐसे राजमार्गों पर कुल 52,609 गंभीर सड़क हादसे दर्ज किए गए।
सरकार का उद्देश्य है कि भविष्य में सड़क हादसों को शून्य तक लाया जाए और इसके लिए तकनीक, नीतियों और निगरानी व्यवस्था को लगातार सशक्त किया जा रहा है। गडकरी ने बताया कि सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर है और इस दिशा में कई तकनीकी उपाय अपनाए जा रहे हैं। विशेष रूप से उच्च यातायात घनत्व वाले मार्गों पर उन्नत यातायात प्रबंधन प्रणाली यानी एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ATMS) की स्थापना की गई है। इस प्रणाली का उद्देश्य दुर्घटनाओं की त्वरित पहचान, निगरानी और तेजी से मदद पहुंचाना है।
नितिन गडकरी ने बताया कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, ट्रांस-हरियाणा एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे पर पहले ही यह प्रणाली स्थापित की जा चुकी है। इसमें कैमरे, सेंसर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं, जो रियल टाइम में घटनाओं की जानकारी देते हैं। इससे संबंधित एजेंसियों को मौके पर पहुंचने में कम समय लगता है और राहत कार्य तेजी से किया जा सकता है।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि अब जिन नई परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है, उनमें ATMS को अनिवार्य रूप से शामिल किया जा रहा है। खासकर उन गलियारों में जहां वाहन गति और यातायात घनत्व अधिक होता है, वहां इस तकनीक से हादसों की रोकथाम और प्रबंधन बेहतर किया जा सकेगा।
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एक अन्य सवाल के जवाब में नितिन गडकरी ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के भीतर 1,12,561 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों का सड़क सुरक्षा ऑडिट कराया गया है। यह ऑडिट सड़क की डिज़ाइन, संकेत व्यवस्था और दृश्यता जैसे पहलुओं का मूल्यांकन करता है ताकि संभावित दुर्घटनाओं से बचा जा सके। गडकरी ने यह भी स्वीकार किया कि वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की गति में थोड़ी गिरावट आई है। इस दौरान यह घटकर 29 किलोमीटर प्रतिदिन रह गई, जबकि पिछले वर्ष यह औसत 34 किलोमीटर प्रतिदिन था। वर्ष 2020-21 में अब तक की सबसे तेज़ गति 37 किलोमीटर प्रतिदिन दर्ज की गई थी।