भारत में 3 बार लगी इमरजेंसी (डिजाइन फोटो)
आज से ठीक 50 साल पहले 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल लगाया था। इस दौरान लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया था। इमरजेंसी भारत के इतिहास में काले अध्याय के तौर पर जुड़ गया है।
वैसे तो यह पहली बार नहीं था जब देश में इमरजेंसी लगाई गई थी, लेकिन जिस वजह और परिस्थितियों में इसे लगाया गया, उसने पूरे देश में उथल-पुथल मचा दी थी। 1975 से पहले देश में दो बार आपातकाल लगाया गया था, लेकिन दोनों बार इसके पीछे कोई ठोस वजह थी। आइए जानते हैं 1975 से पहले इमरजेंसी कब और क्यों लगानी पड़ी थी?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार प्राप्त है। आपातकाल की घोषणा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की लिखित सिफारिश पर की जाती है। इसके तहत नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए जाते हैं।
जब पूरे देश या किसी राज्य में अकाल, विदेशी देशों के आक्रमण या आंतरिक प्रशासनिक अराजकता या अस्थिरता आदि की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो उस क्षेत्र की सभी राजनीतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में चली जाती हैं। भारत में अब तक कुल 3 बार आपातकाल लगाया जा चुका है। इसमें वर्ष 1962, 1971 और 1975 में अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था।
देश में पहला आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच लगाया गया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। यह वह दौर था जब भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। उस समय आपातकाल इसलिए लगाया गया था क्योंकि “बाहरी आक्रमण” से “भारत की सुरक्षा” को ख़तरा बताया गया था।
1962 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जवानों में मिलते तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (सोर्स सोशल मीडिया)
भारत में दूसरी बार आपातकाल 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच लगाया गया। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था। इस समय भी देश की सुरक्षा को खतरा देखते हुए आपातकाल की घोषणा की गई थी। उस समय वीवी गिरी राष्ट्रपति थे।
युद्ध के लिए जाते सैनिक (सोर्स: सोशल मीडिया)
तीसरा आपातकाल 25 जून 1975 को घोषित किया गया था, उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। आपातकाल लगाने के पीछे देश में आंतरिक अस्थिरता को कारण बताया गया था। इंदिरा कैबिनेट ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल घोषित करने की सिफारिश की थी। यह आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लागू रहा।
राजनीतिक दल तीसरे आपातकाल को अलोकतांत्रिक फैसला बताकर इंदिरा सरकार और कांग्रेस पर हमला बोलते रहे। आपातकाल की घोषणा किन परिस्थितियों में की गई और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जिस तरह से इसकी जानकारी दी, उसे लेकर सवाल उठे। इंदिरा सरकार के इस फैसले को तानाशाही बताते हुए विभिन्न संगठन इसके विरोध में उतर आए और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
दरअसल, 1975 में आपातकाल लगाने की घोषणा इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद हुई थी। हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 जून 1975 को अपना फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रायबरेली से निर्वाचन रद्द कर दिया था और अगले 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी थी।
इसके बाद इंदिरा गांधी के इस्तीफे की मांग शुरू हो गई और देश में जगह-जगह आंदोलन होने लगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद आपातकाल की घोषणा कर दी गई।