प्रतीकात्मक फोटो, सोर्स- सोशल मीडिया
Cough Syrup Case: राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के सैंपल में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले कोई टॉक्सिन्स नहीं मिले हैं। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है।
हाल ही में हुए मामले में सरकार ने कहा है कि अब तक की जांच में किसी भी सिरप में ज़हरीले रसायन नहीं पाए गए हैं लेकिन दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने से बचना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) ने इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि छोटे बच्चों में कफ सिरप का अंधाधुंध उपयोग गंभीर खतरा बन सकता है।
केंद्र और राज्यों की एजेंसियों ने संयुक्त रूप से मामले की जांच की। सैंपल की जांच में यह पुष्टि हुई है कि किसी भी सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) की मौजूदगी नहीं है। ये दोनों रसायन पहले भी कई देशों में दवा से जुड़ी मौतों के मामलों में पाए जा चुके हैं और किडनी डैमेज के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
मध्य प्रदेश के मामले में NCDC, NIV और CDSCO की टीमों ने मौके पर जाकर जांच की और कई ब्रांड्स के कफ सिरप सैंपल इकट्ठा किए। सभी नमूनों की जांच रिपोर्ट ने ज़हरीले तत्वों की मौजूदगी से इनकार किया है। राज्य की एफडीए एजेंसी ने भी जांच में इसकी पुष्टि की है।
राजस्थान में दो बच्चों की मौत को कफ सिरप से जोड़ा गया था। इन मामलों की जांच में सामने आया है कि एक केस में बच्चे को लेप्टोस्पाइरोसिस नामक संक्रमण था। साथ ही, पानी, मच्छर जनित संक्रमणों और अन्य कारणों की जांच अभी भी जारी है।
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जांच में यह भी सामने आया कि जिन दवाओं का इस्तेमाल हुआ, वे डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन आधारित थीं। यह एक ऐसा तत्व है जिसे आमतौर पर बच्चों में इस्तेमाल की सिफारिश नहीं की जाती है। इस पूरे मामले की गहन जांच में NCDC, NIV पुणे, ICMR, AIIMS नागपुर, CDSCO और राज्यों के स्वास्थ्य विभागों की टीमें शामिल हैं। सभी संभावित कारणों की पड़ताल की जा रही है।