दिल्ली जामा मस्जिद (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः संभल की जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर छिड़े विवाद के बीच अब दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर भी घमासान छिड़ता दिख रहा है। अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा लेकर अदालत पहुंचे हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने अब दिल्ली की जामा मस्जिद को लेकर एएसआई का दरवाजा खटखटाया है।
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अजमेर शरीफ की तरह ही उन्होंने अपने नए दावे का आधार भी एक किताब को बनाया है। गुप्ता ‘मआसिर-ए-आलमगिरी’ नाम की किताब में लिखी गई बातों के आधार पर जामा मस्जिद की सीढ़ियों का सर्वे चाहते हैं।
इस किताब में मुगल शासक औरंगजेब (1658-1707) के शासनकाल का विस्तार से वर्णन है। इस किताब को बादशाह की मृत्यु के बाद साकी मुस्ताद खान ने इनायतुल्लाह खान कश्मीरी के कहने पर लिखा था, जो बादशाह के अंतिम सचिव थे। किताब में 1679 के घटनाक्रम का ब्योरा बताते हुए जामा मस्जिद को लेकर जो बात लिखी गई है उसके आधार पर विष्णु गुप्ता चाहते हैं कि सीढ़ियों की खुदाई करके सच का पता लगाया जाए।
किताब में मई 1679 की घटना का जिक्र करते हुए लिखा गया है, ‘रविवार 25 मई को खान जहां बहादुर जोधपुर से आए, मंदिरों को ध्वस्त करके और अपने साथ बैल गाड़ियों में मूर्तियां लाए। इसे बादशाह को दिखाया, जिन्होंने उनकी खूब तारीफ की और आदेश दिया कि मूर्तियों को, जिनमें अधिकतर सोने, चांदी और तांबे या पत्थर से सजे थे, जामा मस्जिद की सीढ़ियों में चुनवा दिया जाए।
गुप्ता ने एएसआई के डायरेक्टर जनरल को लिखे लेटर में कहा है कि मुगल शासक ने हिंदुओं को अपमानित करने के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियों को सीढ़ियों में लगवाया. उन्होंने कहा है कि मस्जिद एएसआई के नियंत्रण में है और उन्हें ऐसे स्थानों का सर्वे करके सच निकालने का अधिकार है।
गुप्ता ने लिखा है कि मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे सैकड़ों मंदिरों और मूर्तियों का अवशेष है। इससे हमारी भावनाएं आहत हो रही हैं। सर्वे करके मूर्तियों को बाहर निकालकर मंदिरों में दोबारा स्थापित किया जाए और औरंगजेब का सच दुनिया का सामने उजागर किया जाए।