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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन के खिलाफ शनिवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता देशभर में मोर्चा खोलते नजर आए। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को अपवित्र गठबंधन करार देते हुए भाजपा के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने देश के अलग-अलग राज्यों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कांग्रेस और राहुल गांधी से उन 10 सवालों के जवाब मांगे, जो शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे पूछे थे।
लखनऊ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने जयपुर में, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून में के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल में, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर में और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इंफाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनसी के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी से 10 सवाल पूछे और कहा कि भाजपा और देश की जनता कांग्रेस और राहुल गांधी से ये सवाल पूछ रही है।
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इनके अलावा कई राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों, उपमुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में एक बार फिर अपने सवालों को दोहराते नजर आए, जबकि जम्मू-कश्मीर के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से तीखे सवाल पूछे।
भाजपा नेताओं ने पूछा कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को वापस लाकर जम्मू-कश्मीर को आतंक और अलगाववाद के दौर में वापस धकेलना चाहते हैं? क्या कांग्रेस पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के इशारे पर पाकिस्तान से बातचीत करके फिर से अलगाववाद को बढ़ावा देना चाहती है? क्या कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी पाकिस्तान के साथ ‘एलओसी व्यापार’ शुरू करके सीमा पार आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से पोषित करना चाहते हैं?
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क्या कांग्रेस आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में बहाल करके आतंकवाद, आतंक और बंद के दौर को वापस लाने का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस नेशनल कॉन्फ्रेंस के उस वादे का समर्थन करती है जिसमें दलितों, गुज्जरों, बकरवालों और पहाड़ियों का आरक्षण खत्म करके उनके साथ फिर से अन्याय किया जाएगा? क्या कांग्रेस चाहती है कि ‘शंकराचार्य पर्वत’ को ‘तख्त-ए-सुलेमान’ और ‘हरि पर्वत’ को ‘कोह-ए-मरान’ के नाम से जाना जाए?
क्या कांग्रेस पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस की जम्मू और घाटी के बीच भेदभाव की राजनीति का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस और राहुल गांधी नेशनल कॉन्फ्रेंस की विभाजनकारी सोच और कश्मीर को स्वायत्तता देने की नीतियों का समर्थन करते हैं? क्या कांग्रेस पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के जम्मू-कश्मीर के लिए फिर से ‘अलग झंडे’ के वादे का समर्थन करती है? क्या कांग्रेस जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नष्ट करना चाहती है? इन सवालों के बाद कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि वह कैसे इसे टैकल करती है।