कांग्रेस नेता कर्ण सिंह (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सदर-ए-रियासत डॉक्टर कर्ण सिंह ने जम्मू कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा दिए जाने की वकालत की। साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति स्वीकार्य नहीं है। सिंह का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाना किसी के “गले नहीं उतरता, न डोगरों के न कश्मीरियों के।”
तीन बार के राज्यसभा सदस्य और पूर्ववर्ती राज्य के सदर-ए-रियासत कर्ण सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद हुए बदलावों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का संवैधानिक दर्जा बदले जाने से पहले पूरी बहस इस बात पर हुआ करती थी कि राज्य को कितनी स्वायत्तता दी जाए। उन्होंने कहा कि “370 हटाए जाने के बाद बात पूरी तरह बदल गई।”
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया। जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों बांट दिया गया। एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष दर्जे को रद्द करने के संबंध में केंद्र की कार्रवाई को बरकरार रखा, लेकिन राज्य का दर्जा जल्दी बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने राष्ट्रपति पद को लेकर भी बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि 2006 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी पर विचार किया गया था, लेकिन वामपंथी दलों ने इसे खारिज कर दिया। सिंह ने कहा कि 2006 में वामपंथी दलों के साथ एक बैठक में सोनिया गांधी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था, लेकिन वामपंथी दलों ने कहा कि “हम एक महाराजा को राष्ट्रपति कैसे बना सकते हैं।”
इसके बाद प्रतिभा पाटिल 2007 में भारत की राष्ट्रपति बनी थीं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और यूनेस्को में काम कर चुके सिंह ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति न बनाए जाने का कोई अफसोस नहीं है। यह पूछे जाने पर कि 75 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में क्या उनकी कोई ऐसी ख्वाहिश है जो पूरी नहीं हुई, तो सिंह ने हंसकर कहा, “हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले… लेकिन दम निकलने वाली कोई ख्वाहिश नहीं है।”