
डीवाई चंद्रचूड़ (पूर्व CJI)
नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में न्यायपालिका में जातिवाद और वंशवाद के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इस साक्षात्कार में उन्होंने अपने जीवन और करियर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें कीं। CJI चंद्रचूड़ ने ये साफ किया कि वह कभी भी अपने पिता, पूर्व CJI वाई.वी. चंद्रचूड़ की पैरवी से जज नहीं बने।
उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उन्हें एक बार सलाह दी थी कि जब तक वे CJI के पद पर हैं, तब तक वे अदालत में प्रैक्टिस न करें। इस सलाह के बाद ही उन्होंने अपने पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद अदालत में कदम रखा। उन्होंने कहा, “मेरे पिता का मार्गदर्शन हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहा, लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी किसी पद के लिए पैरवी करने की सलाह नहीं दी।”
साक्षात्कार में CJI चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका में जातिवाद के मुद्दे पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमारी न्यायपालिका में ऊंची जाति के हिंदू पुरुषों का वर्चस्व बढ़ने की बातें की जाती हैं, लेकिन यह सच नहीं है। यदि आप भारतीय न्यायपालिका के सबसे निचले स्तर, यानी जिला न्यायपालिका में भर्ती प्रक्रिया को देखें, तो कई राज्यों में 50 से 70 प्रतिशत तक नई भर्ती होने वाली न्यायाधीश महिलाएं हैं।”
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे महिलाओं तक शिक्षा और विशेष रूप से विधि शिक्षा की पहुंच बढ़ रही है, वैसे-वैसे यह संतुलन न्यायपालिका के ऊपरी स्तरों तक पहुंचेगा।
देश की सभी बड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
गणेश पूजा में पीएम मोदी के पहुंचने और तस्वीर वायरल होने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि इससे पहले हमने इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों पर फैसला दिया था, जिसमें हमने उस कानून को निरस्त कर दिया था जिसके तहत चुनावी फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाए गए थे। इसके बाद हमने कई ऐसे फैसले दिए जो सरकार के खिलाफ गए। संवैधानिक जिम्मेदारियों की बात करते समय बुनियादी शालीनता को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।






