(डिज़ाइन फोटो)
नई दिल्ली: जहां देश में जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक बहस थमती नहीं दिख रही है। वहीं एक खबर की मानें तो भारत सरकार ने आगामी सितंबर में जनगणना शुरू करने का बड़ा फैसला लिया है। हालांकि ये जनगणना 2021 में होने वाली थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। फिलहाल सरकार की ओर से इस बाबत पुष्टि नहीं की गई है।
देखा जाए तो जनगणना, जो हर दस साल में होती है, अब कहा जा रहा है कि यह 2024 में शुरू होगी और इसके रिपोर्ट मार्च 2026 तक आने की उम्मीद है। खबर है कि इस बार जनगणना के लिए बजट में भारी कटौती हुई है। सरकार ने 2024-25 के बजट में जनगणना के लिए केवल ₹1,309 करोड़ आवंटित किए हैं, जो कि 2021-22 में निर्धारित ₹3,768 करोड़ से काफी कम भी हैं।
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जानकारी दें कि साल 1881 से हर 10 साल के बाद होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोरोना के कारण तब से सरकार इसे टालती रही है। इस जनगणना प्रक्रिया पूरी होने में कम से 2 साल लगेंगे। ऐसे में अगर सितंबर में भी जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई तो अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में ही आएंगे।
ऐसी भी खबर है कि इस बार की जनगणना पहली बार पूरी तरह से डिजिटल होगी। नागरिकों को खुद अपनी जानकारी रजिस्टर करने का भी मौका मिलेगा, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ने की उम्मीद है। यह भी माना जा रहा है कि अगर इस साल जनगणना होती है तो मोदी सरकार को कई जरुरी डाटा मिल सकते हैं।
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इधर जातिगत जनगणना को लेकर बहस थमती ही नहीं दिख रही है। केंद्रीय स्तर पर BJPऔर विपक्ष इसे लेकर हमलावर है, वहीं सरकार ने अभी कुछ भी साफ नहीं किया है। इधर कांग्रेस ने जाति आधारित जनगणना की मांग एक बार फिर उठाते हुए बीते गुरुवार को ही कहा था कि जनगणना की प्रश्नावली में एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) का जातिवार आंकड़ा एकत्र किया जा सकता है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बीते शनिवार को कह चुके हैं, “भारत के संविधान में निहित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करना आवश्यक है। कांग्रेस पार्टी इसीलिए सामाजिक न्याय के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रही है।”